Balrampur : जंगली क्षेत्रों में रहने वाले पहाड़ी कोरवा आदिवासियों के लिए रोजी-रोटी का साधन बनी खुखड़ी-पुटु...

Balrampur : जंगली क्षेत्रों में रहने वाले पहाड़ी कोरवा आदिवासियों के लिए रोजी-रोटी का साधन बनी खुखड़ी-पुटु...

@बलरामपुर//कमल चंद साहू।। 
प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण बलरामपुर रामानुजगंज जिले में इन दिनों प्राकृतिक उत्पाद खुखड़ी से ग्रामीण बाजार सजे हुए हैं। अपनी आजिविका के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के पहाड़ी कोरवा आदिवासी महिला-पुरुष जंगलों से पुटू खुखड़ी व सोरवा खुखड़ी लाकर सड़क किनारे बेच रहे हैं।  खास बात यह है कि खुखड़ी आते ही समाप्त हो जाती है, ग्राहक खुखड़ी का बेसब्री से इंतजार करते हैं खुखड़ी की सब्जी आदिवासी व स्थानीय लोग खूब पंसद करते हैं।

400-500 रुपए किलो बिकता है खुखड़ी :

जंगल में पुटु-खुखड़ी बिनकर 50 रुपए दोना के रेट से खुखड़ी और 40 रूपए बंडल के रेट से पुटू बेचकर अपना रोजी-रोटी चला रहे हैं अभी बरसात के मौसम में पहाड़ी कोरवा आदिवासियों के आय का जरिया बना हुआ है।

क्या है खुखड़ी :

खुखड़ी मशरूम की तरह दिखती है। इसमें काफी प्रोटीन होता है। खुखड़ी की भी कई किस्म हैं। पुटू व सोरवा खुखड़ी अधिक प्रचालित है। सब्जी के अलावा इसका उपयोग औषधि बनाने में भी किया जाता है।

दुर्लभ है खुखड़ी :

बरसात के मौसम में बिजली कड़कने से धरती फटती है और इसी समय धरती के अंदर से सफेद रंग की खुखड़ी निकलती है। दाने के समान खुखड़ी को पुटू और लम्बे खुखड़ी को सोरवा खुखड़ी कहा जाता है।

जंगल में जाकर खुखड़ी पुटू लाने के दौरान जंगली जानवर के हमले का भी खतरा बना रहता है कुछ दिनों पहले खुखड़ी पुटू लाने गए ग्रामीण भालुओं के हमले से घायल भी हुए हैं।
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