Balrampur : कृषि विभाग की लापरवाही से भोले-भाले किसान हो रहे परेशान...

Balrampur : कृषि विभाग की लापरवाही से भोले-भाले किसान हो रहे परेशान...

@वाड्रफनगर//कमल चंद साहू।। 
हमारा देश कृषि प्रधान देश है। हमारे देश को आगे बढ़ाने में किसानों का अहम भूमिका है। किसान  जो अन्न पैदा करते हैं उसी अन्न को खाकर पूरा देश जिंदा है। किसानों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार अथक प्रयास कर नाना प्रकार के योजनाओं को संचालित कर रहे हैं ताकि किसानों को खेती बाड़ी में बढ़ावा मिले और अधिक से अधिक अनाज पैदा हो। हमारा छत्तीसगढ़ राज्य को धान का कटोरा कहा जाता है यहां अधिकांश किसान धान के फसल पर आश्रित हैं। किसानों को उन्नत किस्म का कई तरह का बीज वितरण करने के लिए किसानों के लिए कृषि विभाग में शासन भेजती है। इसके अलावा भी आधुनिक कृषि कार्य करने के लिए कई तरह की सुविधाएं केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार किसानों को आगे बढ़ने के लिए दिनों-दिन तमाम वैज्ञानिक तरीके के साथ खेती करने के लिए सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं। 

विडंबना की बात तो यह है कि शासन की योजनाओं से भोले-भाले किसान लाभ से वंचित है। शासन स्तर से तो योजनाएं समुचित रूप से संचालित करने के लिए कृषि विभाग में अधिकारियों कर्मचारियों की नियुक्ति भी कर दी है और नौकरी भी दे रखी है हर माह ये कर्मचारी अधिकारी वेतन  ले रहे हैं। लेकिन अधिकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी दिल से नहीं दे रहे हैं, दिमाग से दे रहे हैं दिमाग लड़ा कर कानून से बचने का फंडा अपनाते हैं। अगर यह अधिकारी कर्मचारियों की खुले दिल से सेवा करते तो किसानों की उन्नति दिन दूनी, रात चौगुनी कहावत के अनुसार मदद मिल सकती थी जबकि किसानों को एक छोटा सा के केचुआ भी किसान का मित्र होता है, लेकिन यह अधिकारी कर्मचारी कुछ भोले-भाले किसानों के लिए, मित्र क्या मुसीबत का सबब बन गया है दूरदराज से किसान जब कृषि विभाग में पहुंचता है तो यहां नाना प्रकार के टालमटोल करके अपना पिंड छुड़ा लेते हैं। यहां न जाने इन भोले-भाले किसानों को कौन सेवा दे सकता है जबकि कृषि विभाग की सेवा/लाभ से वंचित हो रहे हैं।
  
अपनी सेवाएं वास्तविकता अनुरूप जिस मानसिकता से शासन लोगों को पदस्थ किया है कार्य करने में असफल नजर आ रहे हैं। अधिकारी कर्मचारियों किसानों के दर्द को नहीं समझते हैं,  सिर्फ कानूनी तौर से बचकर कार्य करते हैं। कृषि विभाग में नाना प्रकार की टालमटोल करते हैं।

 शासन को इन नियमों में सख्ती लाना चाहिए और व्यवस्था यह करना चाहिए कि  बोर्ड पर, दीवाल पर या किसी माध्यम से इन सभी योजनाओं के हितग्राहियों के नाम व उनकी पात्रता मात्रा व अन्य सभी चीजें अगर लिखवा दी जाती है तो भ्रष्टाचार काफी हद तक कम हो सकता है।

पात्रता और नियम शर्तों को अगर चस्पा कर दिया जाता तो आजकल की किसान आधे से अधिक लोग पढ़े लिखे हैं यह सब पढ़कर अधिकारियों के टालमटोल के चक्कर में फंसकर अपना समय और धन की बर्बादी बच सकते हैं।वास्तविक चीज की जानकारी हासिल कर खुद ही वहां से यानी कि कृषि विभाग से वापस घर को चले जाते और दिनोंदिन कृषि विभाग का चक्कर काटने से बस जाते।
यहां अधिकारी कर्मचारियों ने तो सुबह से शाम तक नाना प्रकार के बहाने बनाते बनाते शाम कर देते हैं और अंतोगत्वा खाली हाथ वापस आने को मजबूर हो जाते हैं। अधिकारी कर्मचारियों ने तो इतने बहाने जानते हैं कि न जाने इस तरह की ट्रेनिंग कहां से मिली होगी कभी-कभी तो बोला जाता है कि ड्यूटी में नहीं हूं, आप जहां से हैं जिस गांव के हैं वहां के आज छुट्टी में हैं या फिर वह मीटिंग में हैं या फिर फील्ड में सर्वे करने गए हैं या कई तरह के बहाने कर दिया जाता है और भोले-भाले किसान इन अधिकारी कर्मचारियों के चक्कर में फंसकर कृषि विभाग में इतने बेहतरीन बेहतरीन योजनाओं का लाभ उठाने में किसान लाभ से वंचित हो रहे हैं।
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