@ बालोद// पीयूष कुमार साहू।।
पर्यावरण संरक्षण के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना के बहुमूल्य योगदान डॉ लीना साहू( रासेयो जिला संगठक जिला बालोद)
भारत सरकार युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत
राष्ट्रीय सेवा योजना के बैनरतले समय समय पर्यावरण व वृक्षारोपण विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जिसमें जागरूकता रैली ,निबंध लेखन चित्रकला भाषण ,नाटक, नुक्कड़ नाटक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, कला और पेंटिंग ,वाद-विवाद व अन्य कई अन्य गतिविधियों जागरूकता अभियान चलते हैं जिसे पर्यावरण दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक अपने घर आस पास, तलाब ,खेत,में पौधा रोपण करे व उसे डिजिटल सोशल मीडिया के माध्यम से सभी को जागरूक करे।
वृक्ष धरा के आभूषण :- स्वंय सेवक यशवंत टंडन
वृक्ष धरती के आभूषण है,ये हमारी शान है,वृक्ष है, तो हम है। वृक्ष हमारे जीवित रहने की वजह है, हमारे जीने का सहारा है। वृक्ष पशु-पक्षियों का आवास है। धरती पर जीवों को जीवन प्रदान करने वाली आक्सीजन और जल का मुख्य साधन भी जल है। वृक्ष हमें गर्मी से बचाते हैं।
"वृक्ष लगाओं, धरती को बचाओं वृक्ष लगाओं,घुटन भरे जीवन से छुटकारा पाओं हम सबने यह ठाना है, घर-घर वृक्ष लगाना है।"
वृक्षों को धरा का आभूषण कहा गया है। जिस प्रकार बिना आभूषण कोई स्त्री सौन्दर्य विहीन लगती है वैसे ही वृक्षों के बिना धरती सौन्दर्य विहीन विरान दिखाई देती है। हिन्दू धर्म ग्रंथों में वृक्षों को देवी-देवताओं की संज्ञा दी गई है, इन्हें पूजा जाता है। वृक्ष हमारा पालन-पोषण करते हैं,हम सदियों से इनकी पूजा करते आ रहे हैं। वृक्ष के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। पृथ्वी पर हरियाली ही उसका श्रृंगार है और यह वृक्षों के द्वारा ही संभव है। किन्तु यह सब जानते समझते हुए भी हम वृक्षों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं, जिसके भंयकर परिणाम हमारे सामने हैं। बढ़ता हुआ धरती का तापमान,तपता वायुमंडल, पिघलती ध्रुवों की बर्फ प्रलय की चेतावनी दे रही है। वृक्ष की जड़ें गहराई तक जाकर मृदा को बांधे रखती है, जिससे बरसात में मृदा का बहाव रूक सकें।
इन सब परिस्थितियों को देखते हुए वृक्षों की उपयोगिता पर हमारा ध्यान केंद्रित होना आवश्यक है। हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने हेतु दृढ़ संकल्पित होना चाहिए जिससे धरती पुनः अपना श्रृंगार कर हरी भरी हो सकें।
पर्यावरण हरियाली के लिए तैयारी नवचार से उत्तम स्वास्थ्य के लिए पर्यावरण संरक्षण अति आवश्यक है- कौशल गजेन्द्र रासेयो वरिष्ठ स्वयंसेवक छत्तीसगढ़
इसलिए
हर दुःख सुख में पौधा रोपण चाहे शादी,जन्मदिन, जन्मोत्सव,वैवाहिक वर्षगाँठ, रक्षा बंधन व अन्य दिवस में पौधा रोपण व उपहार में पौधा भेंट करना होगा ताकि घर मे हरियाली व यादें ताजा रहेगी
मौसमी फलों के बीजों का संग्रहण कर उसे घरों में अंकुरित करके वर्षा के मौसम के लिए पौधे बना कर रखें फिर उसी का वृक्षारोपण करेंगे।।
दिवालो पर लगे पौधों का हम उसे एक पॉलिथीन या पुरानी प्लास्टिक चीजों(बाल्टी,बोतल,टिन)का उपयोग करके वृक्षारोपण हेतु तैयार करें ।
वृक्षारोपण करे तो छोटे बच्चों को साथ में ले जाये जैसे देखेंगे व जैसे शिक्षा देगे वैसी करेगे,
डिजिटल जागरूकता के तहत व्हाट्सएप, फेसबुक ,इंस्टाग्राम टि्वटर अन्य माध्यम से पौधरोपण करने को प्रेरित करे
साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए युवाओं को आगे आकर पौधा लगाकर संरक्षण का कर्त्तव्य दायित्व निभाना होगा।
प्रकृति के प्रति हमारा कर्तव्य _ स्वयंसेवयिका कल्पना बम्बोडे़- मनुष्य के जीवन से लेकर मृत्यु तक प्रकृति एक माता की भूमिका निभाति हैं मनुष्य जब पैदा होता है तब वह झूला रूपि प्रकृति की गोद में ही खेलता हैं मनुष्य के जीवन की हर छोटी बड़ी आवश्यकता प्रकृति से ही पूरी होती हैं यहां तक की मृत्यु के बाद भी मनुष्य प्रकृति की गोद में सो जाता है मनुष्य के जीवन से लेकर मृत्यु तक प्रकृति एक माता की भूमिका निभाति है तो ऐसे में बालक होने के नाते हमारा यह फर्ज बनता है कि हम प्रकृति रूपी माता की रक्षा करे, अगर हम अपनी आवश्यकता के लिए एक वृक्ष काटते है तो हमें दो वृक्ष लगाकर हमें अपना फर्ज निभाना चाहिए, जीवन में आने वाली हर खुशियो के मौके पर एक वृक्ष जरूर लगाना चाहिए और साथ ही उसकी रक्षा का भी वचन लेना चाहिए, जिससे हमारी खुशियाँ और प्रकृति सदा हरिभरी रहे।
विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है ऋचा साहू
जो प्रत्येक बरस 5 जून को विश्व भर में पर्यावरण के नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए मनाया जाता है ऐसे अभियान की शुरुआत करने का उद्देश्य वातावरण की स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करने और हमारे ग्रह पृथ्वी को सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए है। वैसे भी कोविड का समय चल रहा है ऐसे में बाहर भी नहीं जा सकते हैं। आज के समय में हमारा समाज बहुत आधुनिक समाज बन गया है लेकिन उनसे हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान है अपने पर्यावरण के लिए कुछ ना कुछ अवश्य करना चाहिए।