जब आटा चक्की में गेहूं पिसाने जाते हैं तो आटा चक्की में गेहूं के दाना रुक जाता है, उस आटा चक्की में गेहूं के दाना रुकने का अद्भुत कारण(Reason)...-

जब आटा चक्की में गेहूं पिसाने जाते हैं तो आटा चक्की में गेहूं के दाना रुक जाता है, उस आटा चक्की में गेहूं के दाना रुकने का अद्भुत कारण(Reason)...-

PIYUSH SAHU (BALOD)
@बालोद //सीएनबी लाइव न्यूज़।।

 राम बालक दास  के द्वारा उनके विभिन्न  व्हाट्सएप के  ग्रुपों  में सत्संग का आयोजन सुबह 10:00 बजे से एक घंटे के लिए किया जाता है जिसमें सभी भक्तगण जुड़कर विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करके अपने ज्ञान में उत्तरोत्तर वृद्धि कर रहे हैं।
      आज की सत्संग परिचर्चा में एक जिज्ञासु भक्त के कबीर के दोहे चलती चक्की देखकर....... के भाव को स्पष्ट करने की विनती बाबा से की गई बाबा जी ने इस दोहे के भाव को स्पष्ट करके बताया कि जिस प्रकार चक्की के बीच में आने पर गेहूं के दाने पीस जाते हैं पर उनमें भी कोई कोई दाना बच जाता है जो कि बीच के खुटे से जाकर चिपका रहता है वैसे ही संसार के संकल्प विकल्प में अगर हम फंस जाएं तो हम भी पीस जाते हैं और यदि परमात्मा रूपी खुटे को पकड़कर चले तो हम भी पीसने से बच जाएंगे।
         मान सिंह साहू ने भगवान श्री हनुमान जी के पंचमुखी रूप के महत्व को बताने की विनती बाबा से कि बाबा ने हनुमान के पंच मुख रूप के विषय में बताते हुए कहा कि हनुमान जी ने यह रूप श्री राम नाम की महिमा को विस्तारित करने के लिए लिया था, एवं रामबाण से अपने आश्रित शरणागत को बचाने के लिए लिया था उनके पंच मुख बराह,गरुड़,शुकर ,कपि  नरसिंह मुख सद्भावना,सहयोग, सत्कर्म,दोष रहित भाव ऊर्जावान रहने का संकेत देता है।
             रामफल ने सखु बाई की कथा को बताने की विनती बाबा से की, इस कथा का वर्णन करते हुए बाबा जी ने बताया कि सखूबाई ऐसी व्रत धारी थी जो हर एकादशी के दिन पंढरपुर जाती थी परंतु उनका विवाह ऐसे परिवार में हों गया जो कि नास्तिक था शुरू में तो एक दो बार उन्हें अपनी सासू मां से अनुमति लेकर पंढरपुर जाने का अवसर प्राप्त हो गया परंतु धीरे से उनकी सासू मां को पता चल गया कि यह पंढरपुर जाती है और उनके इस यात्रा पर रोक लगा दी गई तब उन्होंने निर्णय लिया कि अब वह एकादशी के पूर्व घर छोड़ देगी तभी उनकी मुलाकात एक अनजान स्त्री से हुई जिसने उन्हें आश्वासन दिया कि वह  जाए और वह उनके पूरे घर का काम धाम संभाल लेगी और इधर भगवान स्वयं उस स्त्री रूप में आए हुए थे जिन्होंने सखूबाई का रूप लेकर उसके घर का सारा काम काज कर दिया और किसी को पता भी नहीं चला इस तरह से सखूबाई का व्रत पूर्ण हुआ जिससे हमें प्रेरणा मिलती है कि यदि हम पूरी तरह से सच्चे मन से भगवान के प्रति कोई व्रत को धारण करते हैं तो वह व्रत पूर्ण करने में भगवान हमारा पूरा सहयोग करते हैं।
 इस प्रकार आज का ऑनलाइन सत्संग पूर्ण हुआ।
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