@सरगुजा//अविनाश कुमार।।
विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज में हुए 80 लाख से भी अधिक के ग़बन मामले में एक बार पुनः ग़बन की वसूली हेतु चारों अपचारी कर्मचारी को विश्वविद्यालय द्वारा पत्र लिखा गया हैं, क्योंकि यह पत्र भारत सरकार द्वारा 30 अप्रैल तक 66 लाख 550 रुपए एनपीआईयू दिल्ली के खाते में जमा कराने विश्वविद्यालय के कॉलेज ,कुलसचिव और सचिव छत्तीसगढ़ शासन और संचालक तकनीकी शिक्षा रायपुर को भी पत्र लिखा गया हैं। किंतु सभी चारों शातिर अभी तक ग़बन के रूपये देने से बच रहे हैं, जिससे व्याज की राशि की भी शासन को हानि हो रही हैं और इनके कारण भारत देश में छत्तीसगढ़ की बदनामी भी हो रही हैं।
जिससे छात्रों के भविष्य में मिलने वाली टेकिप -3 जैसी महत्वपूर्ण योजना का नुक़सान भी सम्भव हैं, इस दिशा में ठोस और गम्भीर कार्यवाही की तुरंत आवश्यकता हैं ताकि ग़बन मामले में चारो अपचारी कर्मचारी बचने ना पाएं. तथा कहीं से कोई अपने संबंधो व संपर्कों का फ़ायदा ना उठा सके।
यह प्रकरण पूर्व विश्वविद्यालय के दरमियान का हैं ,जो छत्तीसगढ़ सरकार की एसपीआईयू ऑडिट में पकड़ा गया था और जाँच तकनीकी यूनिवर्सिटी भिलाई नें करायी थी। प्रभारी प्राचार्य डॉ राजेश कुमार साहू द्वारा तत्कालीन कुलसचिव की आपत्ति के बावजूद भी भुगतान हेतु स्वीकृत पत्र जारी किया गया था जिसमें क़रीब 30 लाख बिल पर दुकानदार ने अपनी लिखित शिकायत कुलसचिव को दी है, जिसमें कहा गया है कि वह उनके बिल नहीं हैं और ना ही उन्हें भुगतान हुआ है। यह सभी कम्प्यूटर जनरेटेड फ़र्ज़ी बिल बनाए गए थे, काफ़ी दुकाने है ही नहीं फिर भी साहू ने भुगतान के आदेश जारी किए. मामले पर विभागाध्यक्ष ने लिखित बताया कि उन्होंने कोई माँग पत्र ही नहीं दिया तो सामान कैसे आ सकता हैं तथा कोई सामान भी स्टॉक पंजी में दर्ज नहीं हैं।