दरअसल, इन दिनों सोशल मीडिया में हनुमान जन्मोत्सव को लेकर एक संदेश तेजी से वायरल हो रहा है। इस मैसेज में कहा जा रहा है कि हनुमान जयंती नहीं बल्कि जन्मोत्सव मनाया जाना चाहिए। इस मैसेज में दावा किया गया है कि हनुमान जयंती उन लोगों की मनाई जाती है जो इस दुनिया में नहीं हैं, जबकि भगवान हनुमान को चिरंजीव होने का वरदान है और वो आज भी धरती पर विद्यमान हैं।
वैसे हिंदू इतिहास और पुराण अनुसार ऐसे सात व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं। यह सब किसी न किसी वचन, नियम या शाप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है।
मतलब, इन सात व्यक्तियों में परशुराम, राजा बलि, हनुमान, विभिषण, ऋषि व्यास, अश्वत्थामा और कृपाचार्य। हिंदू पुराणों के अनुसार इस धर्म के सभी भगवानों में से एकमात्र हमेशा धरती पर रहने वाला भगवान माना गया है।
इसे लेकर शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि-
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
अर्थात इन आठ लोगों (अश्वथामा, दैत्यराज बलि, वेद व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि) का स्मरण सुबह-सुबह करने से सारी बीमारियां समाप्त होती हैं और मनुष्य 100 वर्ष की आयु को प्राप्त करता है।
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि भगवान हनुमान को चिरंजीव होने का वरदान भगवान श्री राम और माता सीता से मिला था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब हनुमानजी माता सीता की खोज करते हुए लंका में पहुंचे और उन्होंने भगवान श्रीराम का संदेश सुनाया तो वे बहुत प्रसन्न हुईं। इसके बाद माता सीता ने हनुमानजी को अपनी अंगूठी दी और अमर होने के वरदान दिया।
उनके धरती पर होने को लेकर समय-समय पर कई तरह के दावे किए गए लेकिन कभी उनकी सत्यता साबित नहीं हो पाई। इसके बावजूद हिंदू धर्म में हनुमान जी को चिंरजीव माना जाता है जो धरती पर विचरण करते रहते हैं।
हनुमान गंधमार्दन पर्वत पर करते हैं निवास :
पुराणों में उल्लेख है कि कलयुग में हनुमान गंधमार्दन पर्वत पर निवास करते हैं। एक कथा के अनुसार जब अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव हिमवंत पार कर गंधमार्दन के पास पहुंचे थे। उस समय भीम सहस्त्रदल कमल लेने गंधमार्दन पर्वत के जंगलों में गए थे, यहां पर उन्होंने भगवान हनुमान को लेटे हुए देखा। इसी समय हनुमान ने भीम का घमंड भी चूर किया था।
यह कहना है पंडितों का :
इस विषय पर जब ज्योतिष और धर्म के जानकार से बात हुई तो उनका कहना भी कुछ ऐसा ही था। ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जयंती उन लोगों की होती है जो अब इस संसार में नहीं हैं वहीं जो उस धरती पर मौजूद हैं उनका जन्मदिन या जन्मोत्सव मनाया जाता है। भगवान हनुमान का भी जन्मोत्सव ही मनाया जाना चाहिए जयंती नहीं। यह शास्त्र सम्मत भी है।
वहीं उज्जैन में स्थित सिद्धवट के पुजारी पं. उपेंद्र के अनुसार आज पाश्चात्य युग है और लोगों ने जन्मोत्सव को छोटा कर जयंती बना दिया है वैसे दोनों का शाब्दिक अर्थ एक ही है। भगवान चाहे राम हो, कृष्ण हो या हनुमान हो उनके जन्म दिवस को जन्मोत्सव के रूप में ही मनाया जाता है। जैसे कृष्ण जन्माष्टमी होती है और राम नवमी मनाई जाती है। इन सभी दिनों को देवताओं के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जयंती को भी जन्मोत्सव के रूप में ही मनाया और पुकारा जाना चाहिए।