शाम (Evening) होने के बाद नहीं किया जाता शवों का पोस्टमार्टम... पढ़िए पूरी जानकारी विस्तार से...

शाम (Evening) होने के बाद नहीं किया जाता शवों का पोस्टमार्टम... पढ़िए पूरी जानकारी विस्तार से...

@वेब डेस्क//सीएनबी लाईव न्यूज़।।
हम सभी के दिमाग में अक्सर ऐसे कई तरह के सवाल घुमते रहते हैं हम सभी के दिमाग में अक्सर ऐसे कई तरह के सवाल किया जाता है, ताकि व्यक्ति की मौत के सही कारणों का पता लगाया जा सके। बता दें कि पोस्टमॉर्टम के लिए मृतक के सगे-संबंधियों की सहमति अनिवार्य होती है। हालांकि, कुछ मामलों में पुलिस अधिकारी भी पोस्टमॉर्टम की इजाजत दे देते हैं, जैसे की हत्या। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, व्यक्ति की मौत के बाद छह से 10 घंटे के अंदर ही पोस्टमॉर्टम किया जाता है, क्योंकि इससे अधिक समय होने के बाद शवों में प्राकृतिक परिवर्तन, जैसे कि ऐंठन होने लगते हैं। शवों का पोस्टमॉर्टम करने का समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का ही होता है। इसके पीछे वजह ये है कि रात में ट्यूबलाइट या एलईडी की कृत्रिम रोशनी में चोट का रंग लाल के बजाए बैंगनी दिखाई देता है और फॉरेंसिक साइंस में बैंगनी रंग की चोट का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। 

प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी में चोट के रंग अलग दिखने से पोस्टमॉर्टम के रिपोर्ट को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। भारत के कोर्ट में मान्य जेसी मोदी की किताब जुरिस्प्रूडेंस टॉक्सिकोलॉजी में इस बात का उल्लेख भी है।आपको ये भी बता दें कि रात में पोस्टमॉर्टम नहीं कराने के पीछे एक धार्मिक कारण भी बताया जाता है। क्योंकि कई धर्मों में रात को अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। ऐसे में कई लोग मृतक का पोस्टमॉर्टम रात को नहीं करवाते हैं।
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