Balod : दीपावली ,होली अन्य त्योहारों को साल में एक बार ही मनाया जाता है... नवरात्रि के पर्व को साल में दो बार क्यों मनाया जाता है? पढ़िए खबर में विस्तार से...-

Balod : दीपावली ,होली अन्य त्योहारों को साल में एक बार ही मनाया जाता है... नवरात्रि के पर्व को साल में दो बार क्यों मनाया जाता है? पढ़िए खबर में विस्तार से...-

PIYUSH SAHU (BALOD)
@ बालोद // सीएनबी लाइव न्यूज़।।

बालोद जिला में स्थित तीर्थ पाटेश्वर धाम के संत राम बालक दास जी के द्वारा विगत 1 वर्ष से ऑनलाइन सत्संग का आयोजन उनके सीता रसोई संचालन ग्रुप में प्रतिदिन किया जा रहा है।
    भारत में एकमात्र ऑनलाइन सत्संग आज  सबके ज्ञान ध्यान एवं साधना का केंद्र बना हुआ है, लोग इससे प्रेरणा प्राप्त करते हैं एवं अपने विचारों  को भी रखते हैं प्रतिदिन विभिन्न लोगों के जन्म दिवस, वैवाहिक वर्षगांठ की शुभकामनाओं का भी आदान-प्रदान इसमें किया जाता है एवं सभी अपने भाव विचार प्रस्तुत कर प्रसन्नता को प्राप्त करते हैं बाबा जी के द्वारा प्रतिदिन सभी की समस्याओं का समाधान भी किया जाता है चाहे वह समसामयिक  भी हो वैज्ञानिक हो या धार्मिक
इसी वृहद मंच पर श्री ललित ठाकुर जी कडार जो कि रामचरितमानस के प्रबुद्ध वक्ता हैं जुड़े, जिन्होंने शबरी के राम प्रसंग पर छत्तीसगढ़ी में सुंदर गायन प्रस्तुत किया जो कि रामचरितमानस का एक ऐसा प्रसंग है, जो सभी के लिए विश्व बंधुत्व सर्वधर्म समभाव के लिए प्रेरणा का स्त्रोत प्रसंग है
      ऑनलाइन सत्संग को आगे बढ़ाते हुए सत्तर राम मंडावी जी ने जिज्ञासा रखी की गाय के घी का ही उपयोग पूजा विधान में क्यों किया जाता है भैंस  का क्यों नहीं इस पर बाबा जी ने विचार प्रकट किया कि सृष्टि  अपने नियमों से बंधी हुई है इसमें जो भी होता है अनुशासन पूर्ण ही होता है जैसे मांसाहारी कभी शाकाहारी नहीं हो सकता तो अंतरजातीय विवाह गोत्री विवाह नहीं हो सकता वैसे ही तकनीकी रूप में देखा जाए तो डीजल की जगह हम पेट्रोल का उपयोग  नहीं कर सकते, वैसे ही गाय देववर्ण है देव प्रसूता है इसीलिए उन के घी का ही उपयोग देव पूजा में किया जाता है और भैंस जो है वह यम का वाहन है वह दानवी कुल की है देव पूजा में इसके घी का उपयोग वर्जित है।
         बरमा राम पटेल जी ने माता रानी के पर्व नवरात्र के विषय में प्रश्न करते हुए बाबा जी से पूछा कि बाकी सभी त्यौहार साल में एक ही बार आते हैं जबकि नवरात्र साल में दो बार आती है ऐसा क्यों इस पर विश्लेषण देते हुए बाबा जी ने बताया कि इस के तीन प्रमुख कारण हैं पहला हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा सोचा गया था कि हर मनुष्य के लिए आत्मशोधन अति आवश्यक है क्योंकि प्रत्येक 6 महा ऋतु परिवर्तन का कारण होता है अतः हर 6 महीने में मनुष्य को आंतरिक शोधन की आवश्यकता होती है इसके लिए साधना महत्वपूर्ण है इसीलिए 9 दिन की साधना निश्चित की गई नवरात्रि के 9 दिन हम किसी भी रूप में तन मन  कर्म वचन से साधना करें तो प्रकृति हमें सभी पापों से मुक्त कर देगी एवं नौ निधियां से परिपूर्ण कर देगी यही सोचकर नवरात्र को साल में दो वार किया गया।
      दूसरा यह शीत ऋतु में आने वाली शारदीय नवरात्र हमारे तापीय गुणों को प्रभावित करती है एवं हमें विशेष प्रकार की उष्मा प्रदान करती है एवं ग्रीष्म ऋतु में आने वाली नवरात्र चैत्र नवरात्र में हमारे अंदर जठराग्नि को प्रभावित करती है इसीलिए यहां पर ज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है हर साल के 6 महीने हमें व्रत उपवास भी अवश्य  से करना चाहिए ताकि हमारे शरीर का शोधन हो सके।
          पुरुषोत्तम अग्रवाल जी ने महा विष्णु जी के 10 अवतार में से एक मत्स्य अवतार के विषय में बताने की विनती बाबाजी से की मत्स्य अवतार की विशेषता को बताते हुए बाबा जी ने बताया कि भगवान विष्णु के 10 अवतार में से यह एक बहुत ही प्रेरणादायक एवं रोचक ज्ञानवर्धक कथा है, जब संपूर्ण सृष्टि में प्रलय आया हुआ था तो भगवान विष्णु को चिंता हुई कि उनके द्वारा रची गई यह सृष्टि जो कि इतनी मेहनत से सजाई सवारी गई है उसका विनाश हो जाएगा तब उन्होंने मनु को प्रेरणा दी एवं सभी अपने भक्तों को एवं वनस्पतियों धन धान बीज को ऋषि-मुनियों को, समस्त गो माता की नस्ल वंशजों को एक जगह नौका में स्थापित होने के लिए प्रेरित किया इस प्रकार हमें इससे प्रेरणा मिलती है कि विपत्ति के समय हमें किस चीज की रक्षा करना चाहिए भगवान ने "विप्र धेनु सुर संत "की रक्षा की क्योंकि जब भी विनाश होगा तो पुनर्निर्माण के लिए यही आवश्यक होंगे जिनके द्वारा हम पुनः सृष्टि का निर्माण कर सकते हैं
 इस प्रकार ऑनलाइन सत्संग संपन्न हुआ।

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