जन संघर्ष विराट पार्टी के प्रदेश प्रभारी प्रियांशु अग्रवाल ने कहा है कि राज्य सरकार ने एक तरफ कोरोना महामारी को रोकने लिए नई गाइडलाइंस जारी की है तो दूसरी ओर क्रिकेट मैच का आयोजन कर बुद्धिहीनता का परिचय दिया है. आज कोरोना के मरीज बढ़ने का बड़ा कारण इस मैच का आयोजित होना रहा. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने अपने पद से इस्तीफा दिया है इसलिए केन्द्र सरकार से मांग है कि उनके कार्यकाल में लिए गए फैसलों की जांच की जाए।
श्री अग्रवाल नें सीएनबी लाईव से विशेष बातचीत में कहा की तमाम तरह की आलोचना के बावजूद प्रदेश जन संघर्ष विराट पार्टी ने कोरोना गाइडलाइंस का पालन करने का फैसला किया है. सभी बैठकें और आंदोलन रदद कर दिए गए हैं तथा इसे वर्चुअल आयोजित करने को कहा गया है. महिला मोर्चा और सहकारिता प्रकोष्ठ की बैठकें भी आज होनी थीं जिन्हें रदद कर दिया गया है। आज ही युवा मोर्चा हस्ताक्षर अभियान चलाकर एक आंदोलन चलाने वाला था लेकिन धारा 144 लागू होने के बाद इस आगे बढ़ा दिया गया. उन्होंंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार कोरोना महामारी को गंभीरता से नही ले रही है. कोरोना योद्धा तक निराश हैं और वे काम नही करना चाहते।
किसानों के साथ छल कर रही सरकार :
पूर्व राष्ट्रीय सचिव रहे प्रियांशु अग्रवाल ने किसानों का मुददा उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है. 14 महीने बाद धान खरीदी का भुगतान किया जा रहा है लेकिन उसमें भी सरकार 20 प्रतिशत कटौती की जा रही है. आश्चर्य कि इसके पीछे का कोई स्पष्ट कारण नही बताया जा रहा है. यह किसानों के साथ सरासर धोखाधड़ी है. उन्होंने कहा कि जन संघर्ष विराट पार्टी किसानों के साथ है. जल्द ही सबसे बातचीत करके सरकार की इस ज्यादती का विरोध किया जाएगा।
जज गुप्ता के कार्यकाल की जांच हो :
हाईकोर्ट के न्यायाधीश शरत कुमार गुप्ता द्वारा इस्तीफा दिए जाने पर कड़ी आपत्ति करते हुए पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रियांशु अग्रवाल ने कहा कि इससे न्यायालय की गरिमा गिरी है. गुप्ता ने यह कहते हुए इस्तीफा दिया कि राज्य सरकार उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी दे रही है. इसलिए राष्ट्रपति से मांग है कि गुप्ता के कार्यकाल में लिए गए न्यायिक फैसलों की समीक्षा हो ताकि सब कुछ स्पष्ट हो सके।
राज्य सरकार को लोग गंभीरता से नही लेते :
श्री अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार को लोगों ने गंभीरता से लेना बंद कर दिया है. स्कूली विदयार्थियों को सरकार ने जनरल प्रमोशन दिया है लेकिन निजी स्कूल उसे मानने से इंकार कर रहे हैं. इसका खामियाजा बच्चों के अभिभावक उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की कोई ठोस नीति नही है, दृढ़ इच्छाशक्ति भी नही है।