छत्तीसगढ़-बालोद
सीएनबी लाइव //पीयूष साहू
सत्संग से मिलता है परमानंद - संत रामबालकदास
सतसंग में आंतरिक सुख मिलता है। सतसंग अंतर्मन के भावों को पवित्र करता है। चंचल मन, बुद्धि को नियंत्रण में रखता है। सतसंग के बिना यह दुर्लभ मानव जीवन ही बेकार है।
आज ग्राम भरदाकला साजा जिला बेमेतरा में 14 मार्च को एक दिवसीय सतसंग कार्यक्रम में संत रामबालक दास जी ने कहा कि शरीर के लिये किया जाने वाला साधन हमें सुख प्रदान करता है। साधारण मानव को भौतिक संसाधनों में इतने सुख का अनुभव होता है कि वह इसी में लिप्त रहना चाहता है। जब बाहरी आवरण से ही हमें संसार में इतना सुख मिलता है तो उस आनंद की अनुभूत करिये जो हमें आंतरिक रूप से प्राप्त होता है। मनुष्य का कोई पुण्य उदय होता है तब ही सतसंग का सौभाग्य मिलता है। एक बार व्यक्ति इस आनंद में निमग्न हो जाये तो जीवनभर वह इसकी चाह करता है। उसे सतसंग की लत लग जाये तो वह रामायण, गीता, वेद तथा अन्य सद्ग्रंथों में आनंद की खोज करेगा। जिन व्यक्तियों को सतसंग की बातों में रस नहीं मिलता, आलस्य आता है, नींद आती है तो समझिये उसके पाप संचित हैं जो उसे सद्प्रवित्तियों की ओर जाने से रोकते हैं। अधर्म का चिंतन भी पाप की तरह ही है। एक पल का सतसंग भी मानव जीवन को सफल बना सकता है। रूई की ऊॅची ढेर को नष्ट करने के लिये अग्नि की एक लौ भी पर्याप्त है उसी प्रकार मनुष्य के जीवन में संचित पुण्य थोड़ी सी गलती में समाप्त हो जाते हैं। किसी भी परिस्थिति में मन का संतुलन बिगड़ता हो तो अपनी सद्प्रवृत्तियों को टालना नहीं चाहिये। सदाचार जीवन में कायम रहेगा तो बड़ा से बड़ा संकट दूर हो जायेगा।
महाराज जी ने कहा कि आये दिन नये पंथ और नये संत आने से लोग दिग्भ्रमित हो रहे हैं। नयी संस्कृति नयी परिपाटी बताकर लोगों को भरमाया जा रहा है। मानव के प्रसंगों को तोड़ मरोड़कर पेशकर वर्गभेद बढ़ाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। नाना प्रकार के उपद्रव कर व्यक्ति की आस्था और श्रद्धा को ठेस पहुॅचायी जा रही है परंतु ऐसे तत्वों की साजिश सफल नहीं होगी हम सबको सावधान रहने की आवश्यकता है। जिन संतों ने अपना सम्पूर्ण जीवन भगवान राम, शिव आदि के गुणानुवाद में होम कर दिया उनके ही अनुयायी नया मार्ग, नयी पूजा पद्धति, नयी परिपाटी, नयी पूजा उपासना बताकर समाज को भटकाने का काम रहे हैं। महाराज जी ने जनमानस को सचेत और सावधान रहने की सीख दी। महाराज जी के ग्राम पहुॅचने पर ग्रामीणों ने उनका आत्मीय स्वागत किया।