
प्रदेश में दो साल पहले सरकार बदली और जो दो मेगा-प्रोजेक्ट गड़बड़ियों के कारण विवाद में आकर अटके, उनमें से एक है स्टेशन से शदाणी दरबार तक 12 किमी का एक्सप्रेस-वे। यह प्रोजेक्ट इसलिए चर्चित हुआ क्योंकि इसे नैरोगेज रेलवे लाइन हटाकर बनाया गया था। पिछली सरकार ने इसे पूरा कर दिया था और ट्रैफिक भी शुरू हुआ था लेकिन तेलीबांधा पुल पर कार हादसे के बाद पूरी सड़क और इसके पांच फ्लाईओवर के निर्माण में गुणवत्ता की गंभीर खामियां आ गईं। जांच चली, कुछ अफसर सस्पेंड हुए और छह माह पहले इसका काम दोबारा शुरू हुआ। उम्मीद की जा रही है कि लगभग एक-चौथाई शहर के बीच से गुजरनेवाली इस फोरलेन सड़क पर जून से ट्रैफिक फिर शुरू हो जाएगा।
दो शहरों का आसान जोड़
एक्सप्रेस-वे के शुरू होने से पूरे शहर को इसलिए फायदा होगा क्योंकि इससे स्टेशन चौक से एयरपोर्ट तक पहुंचने में महज 14 मिनट लग रहे थे। जबकि अभी न्यूनतम 30 मिनट लग रहे हैं। यही नहीं, यह सड़क मौजूदा रायपुर से नवा रायपुर की दूरी भी कम कर देगी। एक्सप्रेस-वे की सर्विस रोड भी ठीक की जा रही हैं, ताकि शेष शहर के लिए ट्रैफिक आसान हो सके।
बन रहे हैं पांचों फ्लाईओवर
एक्सप्रेस-वे के पांचों फ्लाईओवर तोड़ने के बाद इन्हें बनाने का काम तेज हो गया है। इस बार निर्माण की क्वालिटी में गड़बड़ी न हो, इसलिए नई कंसल्टेंट कंपनी नियुक्त की गई है। इस एजेंसी का काम केवल निर्माण की गुणवत्ता पर नजर रखना होगा। इन पुलों को फिर से बनाने में करीब 40 करोड़ रुपए का खर्च आने वाला है। सभी पांचों फ्लाइओवर को जून तक बनाकर एक्सप्रेस-वे को फिर चालू करने की तैयारी है।
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