कोरोना की दो वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की अनुमति मिलने के बाद राजनीति भी तेज हो गई है। छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिव और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने आज आरोप लगाय है कि केंद्र सरकार ने विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा दिखाने के लिए ड्रग रेग्यूलेटर पर दबाव डालकर को-वैक्सीन को मंजूरी दिलाई है। वह भी बिना तीसरे चरण का ट्रायल पूरा किए।
विकास उपाध्याय ने कहा केन्द्र सरकार ऐसा कर नोटबंदी, जीएसटी और बिना सोचे-समझे लाॅकडाउन की संवेदनहीन कार्यप्रणाली का जोखिम ले रही है। उन्होंने कहा, पुराने उदाहरणों की तरह इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ सकता है। विकास उपाध्याय ने कहा, भाजपा सरकार ने ड्रग रेग्यूलेटर पर दबाव डालकर इस अधूरे अध्ययन वाले टीके को मंजूरी देकर वैज्ञानिकों के तर्क को भी नजरअंदाज कर दिया है। यह सिर्फ इसलिए कि सरकार विकसित देशों से प्रतिस्पर्धा में आगे निकलता दिखना चाहती है।
विकास उपाध्याय ने कहा, चूंकि परीक्षण के तीसरे चरण का कोई डेटा नहीं है। इससे यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि यह टीका कितना प्रभावकारी होगा। बावजूद इसे मंजूरी दिया जाना मोदी सरकार की जल्दबाजी नहीं तो क्या है। सरकार ने जितनी जल्दबाजी में इस को- वैक्सीन को मंजूरी दिलाने रुचि दिखाई उससे कहीं ज्यादा जल्दबाजी वैक्सीन राष्ट्रवाद की छवि गढ़ने दिखाई दे रही है।
विकास उपाध्याय ने देसी वैक्सीन की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवालों पर केन्द्र सरकार से मांग की है कि वह अपना स्पष्ट अभिमत रखे कि यह सुरक्षा के पर्याप्त सबूतों के आधार पर स्वीकृत किया गया है। उन्होंने कहा, यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि यह टीका किस पर और खुराक की मात्रा क्या होनी चाहिये। विकास ने वैक्सीन विज्ञानियों को भी सामने आकर अपनी बात रखने का आह्वान किया है।
क्लिनिकल ट्रायल मोड पर उठाए सवाल
विकास उपाध्याय ने ड्रग रेग्यूलेटर द्वारा वैक्सीन को क्लीनिकल ट्रायल मोड कहे जाने पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने इसे स्पष्ट करने की मांग की है। विकास उपाध्याय ने आशंका जताई कि भाजपा के दबाव में यह एजेंसी तीसरे चरण का ट्रायल सीधा वैक्सीन लगाकर तो नहीं करने जा रही है? विकास ने कहा, शायद इसी वजह से भाजपा के तमाम बड़े लोग ट्रायल वैक्सीन को लेने परहेज कर रहे हैं।