कोरिया।।सरकारी कागजों में 62 साल पहले मरा हुआ आदमी, अब अपने जिंदा होने की बात कहते हुए कार्यालय के चक्कर लगा रहा है. जिले के अधिकारियों को अपने जिंदा होने का सबूत देता फिर रहा है।
पंचायत बुढ़ार के सचिव रामलखन राजवाड़े ने एक जीवित व्यक्ति कालीचरण का मृत्यू प्रमाण पत्र 14 अक्टूबर 2020 को जारी कर दिया. इसकी जानकारी जब 72 वर्षीय नि:संतान वृद्ध को मिली उनके होश उड़ गए।
अपने नाम का मृत्यू प्रमाण पत्र देखते ही बुजुर्ग की आंखे फटी की फटी रह गई. जिंदा आदमी मृत्यू प्रमाण पत्र की छायाप्रति लेकर थाना पहुंचा और बोला- साहब मैं जिंदा हूं. मेरे मरने का प्रमाण पत्र बन गया है. हाल ही में आई फिल्म ‘कागज’, जिसमें जिंदा आदमी अपने जिंदा होने का सबूत प्रशासन को नहीं दे पाता. कोरिया के इस बुजुर्ग की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।
प्रमाण पत्र के अनुसार 1958 में हुई मौत:
मामले का खुलासा तब हुआ जब कालीचरण ने अपनी भूमि के बंटवारे के लिए तहसील में आवेदन किया. आपत्तिकर्ता ने यह कहकर बंटवारे में रोक लगा दी कि यह व्यक्ति मर चुका है. आपत्तिकर्ता बुजुर्ग का भतीजा है. उसने ग्राम पंचायत बुढ़ार द्वारा जारी किया गया मृत्यू प्रमाण पत्र पेश कर दिया. मृत्यू प्रमाण पत्र के अनुसार बुजुर्ग की मौत 16.03.1958 को हो गई है।
हर चुनाव में डाला वोट:
बुजुर्ग का कहना है कि वे कई बार विधानसभा, लोकसभा, ग्राम पंचायत, जनपद से लेकर स्थानीय चुनावों में वोट भी दे चुके हैं. प्रशासनिक अधिकारी मरा हुआ समझकर बंटवारे में अड़चन पैदा कर रहे हैं. जिंदा आदमी के आने के बावजूद अधिकारियों ने उसे जिंदा नहीं माना. बुजुर्ग के मृत्यू प्रमाण पत्र को ही सही माना जा रहा है. जिसके आधार पर तहसील कार्यालय ने पुष्टि होने तक बंटवारे पर रोक लगा दी है।