
रामकृष्ण केयर अस्पताल में एक मरीज के वॉल्व के अंदर वॉल्व बदला गया। प्रबंधन का दावा है कि प्रदेश में इस तरह का केस पहली बार किया गया। मरीज लीवर व किडनी की तकलीफ के कारण भर्ती हुआ था। डॉक्टरों ने जांच में पाया कि मरीज का वॉल्व लीक कर रहा है।
इसके बाद वॉल्व बदलने का निर्णय लिया गया। मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. संदीप दवे ने बताया कि 62 वर्षीय मरीज का 10 साल पहले एरोटिक वॉल्व बदला गया था, जो फिर से लीक होने लगा था। इससे दिल का आकार बढ़ रहा था। मरीज को बार-बार डायलिसिस भी करवाना पड़ रहा था। कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. जावेद अली, सीटीवीएस सर्जन डॉ. विनोद आहूजा व गैस्ट्रोलॉजी विभाग के डॉ. ललित निहाल ने नई तकनीक से एरोटिक वॉल्व को बदलने का निर्णय लिया। नई तकनीक को ट्रांस कैथेटर एरोटिक वॉल्व रिप्लेसमेंट कहा है।
इसमें पुराने लगे वॉल्व के अंदर एक अन्य वॉल्व लगा दिया जाता है। इसमें चीर-फाड़ की जरूरत नहीं पड़ती। केवल एक घंटे में नया वॉल्व लगा दिया गया। मरीज दो-तीन दिनों में ठीक होने लगा और वेंटीलेटर से बाहर लाया गया। किडनी फंक्शन भी सामान्य है और चलने-फिरने लगा है। डॉ. दवे ने बताया कि इस तरह का यह अस्पताल में तीसरा केस है, जिसमें खराब बायो प्रोस्थेटिक वॉल्व को बिना सर्जरी के बदला गया।
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