दिल्ली से लग्जरी कारें चुराकर रायपुर में बेचीं, गिरोह का एक सदस्य गिरफ्तार

दिल्ली से लग्जरी कारें चुराकर रायपुर में बेचीं, गिरोह का एक सदस्य गिरफ्तार

Avinash

दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों से फार्चूनर, क्रेटा और ब्रेजा जैसी गाड़ी चुराने वाले गिरोह के एक सदस्य को पुलिस ने टिकरापारा से दबोचा। वह मेरठ गैंग के लिए लोकल लिंक का काम करता था। उसके जिम्मे ग्राहक की तलाश करना था।

वह ग्राहक तलाश करने के बाद मेरठ गैंग के लीडर को खबर करता था। उसके बाद उसी माॅडल व कंपनी की गाड़ी चुराकर कबाड़ की गाड़ी से उसका चेचिस नंबर बदलकर यहां भेजी जाती थी। दिल्ली पुलिस ने रायपुर से 10 लग्जरी गाड़ियां जब्त की हैं।

गैंग का मास्टर माइंड फरार हो गया है। पुलिस को शक है कि उसे दिल्ली पुलिस के यहां पहुंचने की भनक लग गई थी। दिल्ली पुलिस अफसर टिकरापारा आरडीए कॉलोनी के राजिक खान को गिरफ्तार करने के बाद ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली ले गयी है। पुलिस के अनुसार राजिक पुरानी गाड़ियां खरीदने-बेचने का काम करता है। इसी की आड़ में वह चोरी की गाड़ियां खपाया करता था।

दिल्ली पुलिस के साथ रायपुर पुलिस की टीम ने भी गिरोह के मास्टर माइंड की खोजबीन शुरू कर दी है। पुलिस अफसरों ने बताया कि मेरठ गैंग दिल्ली से केवल लग्जरी और महंगी गाड़ियां ही चोरी करता है। महंगी गाड़ी होने के कारण किसी को शक नहीं हाेता कि ये चोरी की हो सकती है। वे इतनी सफाई से अपना रैकेट चला रहा हैं कि आटो डील संचालित करने वाले डीलर तक गच्चा खा गए। यहां तक एक सरकारी अफसर ने भी चोरी की गाड़ी खरीद ली।

कबाड़ गाड़ी खरीदकर उसके नंबर पर नई गाड़ी

पुलिस अफसरों के अनुसार मेरठ गैंग जो गाड़ी चोरी करता था, उसी तरह की गाड़ी कबाड़ में खरीदता था। उसके बाद कबाड़ गाड़ी को टुकड़ों में बांटकर नष्ट करता फिर उस नष्ट गाड़ी के नंबर और इंजन चिचिस नंबर को चोरी की गाड़ी में डिस्प्ले करता था।

गिरोह इस काम में इतना माहिर है कि बारीकी से भी इंजन चेचिस नंबर की जांच करने वालों को शक नहीं हो सकता है। राजिक का रायपुर के अलावा अलग-अलग शहरों के पुराने गाड़ियों के डीलर्स से संबंध है, जिनके माध्यम से वह गाड़ियों को बेचता था।

राजा ने ही शहर के 10 लोगों को गाड़ी बेची है, इसमें कारोबारी से लेकर सरकारी नौकरी करने वाले भी शामिल हैं। अधिकांश लोगों ने बैंक से गाड़ी को फायनेंस भी करायी है। दस्तावेज के आधार पर फायनेंस कंपनी वालों कर्ज दिया। पुलिस ने सभी गाड़ियों को जब्त कर लिया है।

मेरठ गिरोह दो चैनल पर करते हैं काम

मेरठ गिरोह दो चरणों में काम करते हैं। पहला ग्रुप बीमा कंपनियों से हादसे में क्षतिग्रस्त गाड़ियों को कबाड़ के दाम पर खरीदते हैं। बीमा कंपनियों से दस्तावेज भी ले लेते है। उसके बाद दूसरे ग्रुप को गाड़ी की फोटो भेजी जाती है। दूसरा ग्रुप चोरी करता है।

उसी कलर की गाड़ी को दिल्ली और उसके आसपास के इलाके से चोरी करते हैं। चोरी के बाद तुरंत गाड़ी को रायपुर में छोड़ दिया जाता है। यहां कबाड़ में खरीदी गाड़ी का चेचिस और इंजन नंबर चोरी की गाड़ी में प्रिंट किया जाता है। उसमें नंबर प्लेट लगाकर बेच दी जाती है। गिरोह ज्यादातर पुरानी गाड़ियों का कारोबार करने वालों को गाड़ी बेचते हैं, फिर उनके माध्यम से गाड़ी लोगों को बेची जाती है।

दिल्ली स्पेशल सेल की टीम का रायपुर में डेरा

दिल्ली स्पेशल सेल के अधिकार पिछले 7 दिनों से रायपुर में डेरा डाला था। चोरी की गाड़ियों ढूंढने के लिए हाईटेक मशीन लेकर आए है। इसमें चोरी की गाड़ी का चेचिस और इंजन नंबर डालने पर 500 मीटर के इलाके में सर्च करते हैं। अगर चोरी की गाड़ी वहां खड़ी है तो उसे ट्रेस कर लेती है।



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सांकेतिक फोटो


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