फर्जी बिलों से इनपुट टैक्स क्रेडिट रकम वापस लेने वालों का रजिस्ट्रेशन करेंगे रद्द

फर्जी बिलों से इनपुट टैक्स क्रेडिट रकम वापस लेने वालों का रजिस्ट्रेशन करेंगे रद्द

Avinash

फर्जी बिलों से इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस लेने वाले कारोबारियों का अब तत्काल जीएसटी पंजीयन रद्द कर दिया जाएगा। फर्जी तरीकों से इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस लेने के मामलों की बढ़ोतरी के बाद केंद्र सरकार ने यह नया नियम बनाया है। धारा 36(4) के अंतर्गत अब टैक्स देने वाला व्यापारी अपने जीएसटीआर 2बी रिटर्न का केवल 5 फीसदी टैक्स रकम ही वापस ले सकेगा। पहले यह रकम 20 और बाद में 10 फीसदी कर दी गई थी। इसे अब और आधा कर दिया है।

इस नियम के साथ ही कई और नए नियम बनाए गए हैं जिसका कारोबारी विरोध भी कर रहे हैं। कर सलाहकार देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि जीएसटीआर 2बी में दी गई जानकारी का 5 फीसदी ही अतिरिक्त टैक्स वापस ले सकेगा। यानी 2बी में दिखाए गए कुल इनपुट का 105 फीसदी ही करदाता अपने दायित्व में एडजेस्ट कर सकेगा। पहले अक्टूबर 2019 में यह 120 फीसदी था जिसे बाद में 110 प्रतिशत कर दिया गया था। नए नियम के बाद 105 फीसदी से ज्यादा इनपुट टैक्स एडजेस्ट करने पर जीएसटी पंजीयन निरस्त करने की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।

इसके साथ ही हर महीने जीएसटीआर 3बी दाखिल करने वाले व्यापारी 2 महीने तक लगातार रिटर्न दाखिल नहीं करता है तो उसे जीएसटीआर 1 जमा करने से रोक दिया जाएगा। इसी तरह तिमाही 3बी दाखिल करने वाले व्यापारी पिछली तिमाही का रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं तो उसे जीएसटीआर1 भरने से वंचित कर दिया जाएगा।

व्यापारी जीएसटीआर1 और जीएसटीआर 3बी में करयोग्य टर्नओवर के आंकड़े में अंतर दिखाता है तो भी उसका जीएसटी नंबर निरस्त किया जा सकता है। इस कार्रवाई के तहत व्यापारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। 30 दिनों के भीतर अनिवार्य तौर पर इसका जवाब देना होगा।

क्या होता है इनपुट टैक्स क्रेडिट

व्यापारी पक्के बिल से जो माल खरीदता है उस पर जो टैक्स लगता है, उसी पर जीएसटी रिटर्न भरने से इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलता है। उदाहरण के लिए किसी मैन्यूफैक्चरर को अपना सामान बनाने के लिए 100 रुपए का कच्चा माल खरीदना पड़ता है और उस पर 12 फीसदी टैक्स देना पड़ता है। इससे सामान बनाने वाले कारोबारी को 112 रुपए खर्च करना पड़ता है।

अब मैन्यूफैक्चर जो सामान बेचता है वो 112 रुपए में देता और उस पर 18 फीसदी का जीएसटी। जीएसटी रिटर्न भरने के दौरान 18 फीसदी के टैक्स में केवल 6 प्रतिशत देना पड़ता है बाकी 12 फीसदी इनपुट टैक्स क्रेडिट के नाम पर वापस हो जाता है। इसी टैक्स क्रेडिट का फायदा लेने के लिए कच्चा माल देने से रिटेलर कारोबारी तक कहीं न कहीं अपना पंजीयन करवा लेते हैं।



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