बिलासपुर हाईकोर्ट ने कहा- शर्त इतनी कठोर नहीं होनी चाहिए कि जमानत से इनकार करने के सामान हो जाए...

बिलासपुर हाईकोर्ट ने कहा- शर्त इतनी कठोर नहीं होनी चाहिए कि जमानत से इनकार करने के सामान हो जाए...

Avinash


छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा, जमानत की शर्त कठोर होना, व्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन है। शर्त ऐसी नहीं होनी चाहिए कि वह जमानत से इनकार के समान हो जाए और आरोपी छूट ही न सके। कोर्ट ने धोखाधड़ी के आरोपी की अर्जी पर सुनवाई करते हुए मजिस्ट्रेट और सत्र न्यायालय का आदेश खारिज कर दिया। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय के. अग्रवाल की बेंच में हुई।

धमतरी के अर्जुनी क्षेत्र के ग्राम राघनगुड़ा निवासी भागवत जोशी उर्फ शंकरलाल जोशी ने अधिवक्ता बीपी सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में आपराधिक विविध याचिका दायर की थी। इसमें बताया कि वह किसान है और उसे बालोद थाने में दर्ज धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। उसने जमानत के लिए पहले गुंडरदेही मजिस्ट्रेट के सामने जमानत अर्जी प्रस्तुत की। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने जमानत तो दिया, लेकिन उस पर 2 लाख रुपए की बैंक गारंटी या कैश जमा करने की शर्त लगा दी।

सत्र कोर्ट ने रिवीजन आंशिक स्वीकार किया, गारंटी आधी की
ऐसे में उसने बालोद सत्र न्यायालय में पुनरीक्षण पेश किया। मामले की सुनवाई प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के कोर्ट में हुई। कोर्ट ने रिवीजन आंशिक स्वीकार किया और बैंक गारंटी को 1 लाख रुपए कर दिया। साथ ही 10 हजार रुपए का जमानत बांड जोड़ दिया गया। यह शर्त भी याचिकाकर्ता को भारी पड़ी। इसके बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए 20 हजार के जमानत बांड के आधार पर तत्काल छोड़ने का आदेश दिया।



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