
नारायणपुर जिले के आमदाई खदान की लीज निक्को कंपनी को देने और यहां ग्रामीणों के विरोध के बाद भी पुलिस कैंप खोलने का मामला अब गर्माने लगा है। सोमवार को इलाके के हजारों आदिवासी विरोध में नारायणपुर की ओर कूच करने लगे। इसके बाद भीड़ को नारायणपुर पहुंचने से रोकने के लिए प्रशासन ने ओरछा के आगे फरसगांव थाने के पास बैरिकेट्स लगा दिए और आदिवासियों को वहीं रोक दिया गया।
फरसगांव में पुलिस के द्वारा लोगों को नारायणपुर जाने से रोके जाने के बाद गुस्साए आदिवासियों ने चक्काजाम कर दिया और मौके पर ही नारेबाजी शुरू कर दी। इस बीच आंदोलनकारियों के समर्थन में सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया और सोनी सोरी नारायणपुर पहुंचीं। यहां पहुंचने के बाद उनकी अफसरों व आंदोलनकारियों से बात हुई। इस बातचीत के बाद कलेक्टर अभिजित सिंह और एसपी मोहित गर्ग पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाऊस पहुंचे।
‘लीज पर दी गई जमीन हमारा देवस्थान’
इधर आदिवासियों का कहना है कि सरकार ने आमदई घाट में जिस खदान को निक्को कंपनी को दिया है वह खदान की जमीन आदिवासियों की है और वह आदिवासियों के देवी-देवताओं का स्थान है। आदिवासियों का कहना है कि देवस्थान के अलावा इस खदान के शुरू होने से पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचेगा इसलिए तत्काल खदान की लीज को निरस्त किया जाना चाहिए।
15 दिन पहले प्रशासन ने कहा था कैंप नहीं खोल रहे : प्रदर्शन करने आए आदिवासियों का कहना था कि 15 दिनों पहले हम विरोध प्रदर्शन कर रहे थे तब प्रशासन की ओर से हमें कहा गया था कि नया कैंप नहीं खोला जाएगा।
लाेकतांत्रिक तरीके से लड़ेंगे
सोनी सोरी ने बताया बैठक में तय हुआ कि अब जो लड़ाई लड़ी जाएगी वह लोकतांत्रिक तरीके से होगी। इसके लिए पहले खदान के आबंटन से संबंधी दस्तावेज एकत्र किए जाएंगे, अभी किसी के पास भी इस संबंध के कोई दस्तावेज नहीं है। अफसरों ने कहा कि लीज से संबंधी दस्तावेज, ग्राम सभा की अनुमति वाले दस्तावेज ग्रामीणों को उपलब्ध करवा देंगे।
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