रायपुर में पिछले लगभग एक माह से रोजाना 193 के औसत से कोरोना मरीज मिल रहे हैं, लेकिन रोजाना ही इनमें से औसतन दो दर्जन मरीज गायब भी हो रहे हैं। भास्कर की पड़ताल में यह बात सामने आई कि ये मरीज इलाज के लिए न तो अस्पताल में भर्ती में हो रहे हैं, न ही होम आइसोलेशन का आवेदन कर रहे हैं। वजह ये है कि सर्दी-बुखार जैसे लक्षणों के बाद टेस्ट करवाने पहुंच रहे ऐसे लोगों का फोन रिपोर्ट पाजिटिव आते ही बंद हो जा रहा है। यही नहीं, जो पता दर्ज करवाते हैं, वह भी गलत निकल रहा है।
ऐसे गुमशुदा मरीजों की तलाश में हेल्थ विभाग और प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। इसका खुलासा हेल्थ विभाग के रिकॉर्ड से ही हुआ है। ऐसे अनट्रेस मरीजों की तादाद दिसंबर के शुरूआती दिनों में ज्यादा देखने में आ रही है। भास्कर पड़ताल में पता चला है कि कुछ कोरोना पॉजिटिव ऐसे भी हैं, जो पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद तीन से चार दिन तक अपना फोन बंद कर यहां-वहां छिप रहे हैं। लेकिन तबियत बिगड़ने लगती है, तब कंट्रोल रूम में फोन कर अस्पताल या होम आइसोलेशन में इलाज की मांग करने लगते हैं। शहर में हालिया पंद्रह दिनों में हुई ज्यादातर मौतों में इलाज में देरी एक बड़ा कारण बनकर उभरी है।
अलग-थलग पड़ने के डर से ऐसा
होम आइसोलेशन या अस्पताल में इलाज के दौरान अलग-थलग पड़ जाने के डर से भी बहुत से लोग इलाज करवाने से कतरा रहे हैं। पड़ताल में पता चला है कि ज्यादातर लोग घर के ऐसे सदस्य जो संक्रमित नहीं हुए हैं, उनकी आवाजाही पर कोई रोक लगे नहीं चाहते हैं। हेल्थ विभाग लोग इलाज में देरी न करें इसके लिए अभियान भी चला रहा है। लेकिन इसका भी असर होता नहीं दिख रहा है।
मेडिकल स्टोर से ले रहे हैं दवा
उधर, शहर की बहुत सी दवा दुकानों से मरीज पॉजिटिव आने के बाद खुद से या परिचितों के जरिए जाकर दवाएं खरीदकर घर ले आ रहे हैं। ड्रग कंट्रोल विभाग के पिछले महीने छापामार कार्रवाई के बावजूद अब भी कई जगह काम गुपचुप किया जा रहा है। ऐसे में विभाग की ओर से एक बार फिर छापेमार कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।