नौ करोड़ में खरीदे अमानक खिलौने, 5 हजार आंगनबाड़ियों में सप्लाई भी हो गए...

नौ करोड़ में खरीदे अमानक खिलौने, 5 हजार आंगनबाड़ियों में सप्लाई भी हो गए...

Avinash

महिला बाल विकास संचालनालय ने प्रदेशभर के पांच हजार आंगनबाड़ियों के बच्चों को ऐसे खिलौने सप्लाई कर दिए जिनमें अमानक होने के संकेत मिले हैं। सीएसआईडीसी इन खिलौनों की खरीदी रायपुर की नामी एजेंसियों से नौ करोड़ रुपए में कर रही है। आरोप लग रहे हैं कि बिना नॉन टॉक्सिक (गैर विषाक्त) प्रमाण पत्र लगाए इन्हें ही आंगनबाड़ियों को भेजा जा रहा है।

जांजगीर के महिला बाल विकास अधिकारियों ने जब पॉलिटेक्निक कॉलेज में इनके नमूनों की जांच करवाई, तब इस बात का खुलासा हुआ कि ये खिलौने मापदंडों के अनुरूप नहीं है। जिसके बाद ही प्रदेश में हड़कंप मचा है। महिला बाल विकास विभाग जांजगीर के अधिकारियों ने इस पूरे मामले की शिकायत संचालनालय के अधिकारियों से की थी।

उन्होंने पहले तो सप्लाई हुए खिलौनों में कुछ नमूनों की जांच रामकृष्ण राठौर शासकीय पॉलिटेक्निक पेंड्री जांजगीर से करवाई। पॉलिटेक्निक कॉलेज की रिपोर्ट में प्री-स्कूल किट निरीक्षण के दौरान जो बातें सामने आईं, उनमें सभी खिलौनों के नॉन टॉक्सिक (गैर विषाक्त) होने का शासकीय एनबीएल लैब का प्रमाण पत्र अप्राप्त होना बताया गया।

संचालनालय ने लिखा-विस्तृत रूप से बताएं, खिलौनों के मानकों में क्या कमी है

संचालनालय ने इस पूरे मामले में महिला बाल विकास विभाग जांजगीर से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने लिखा है कि वे खिलौनों को लेकर जिन चार बिंदुओं में सवाल उठाए जा रहे हैं कि उसे विस्तारित तरीके से भेजें। बताएं कि किस खिलौने में क्या कमी है और कहां मानकों की अनदेखी की गई है। जिस डॉक्टर किट, डॉल एवं पपेट और प्लेन राइटिंग एवं प्रिटिंग पेपर में कमियां गिनाई हैं, इसे भी पूरा बताएं कि क्या कमी है, ताकि सीएसआईडीसी से इसका प्रमाण पत्र मांगा जा सके।

महिला बाल विकास विभाग और संचालनालय के बीच चल रही खींचतान

प्रदेशभर में खिलौनों की सप्लाई का टेंडर फिलहाल तीन एजेंसियों को दिया गया है। इनमें श्रीराम क्रिएशन रायपुर, मेसर्स ऊषा स्टील और वेब नेटवर्क रायपुर शामिल हैं। आंगनबाड़ियों में इन्हीं एजेंसियों ने सीएसआईडीसी के जरिए खिलौनों की सप्लाई की है। महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी बता रहे हैं कि ऐसी कुछ और एजेंसियां हैं जिन्होंने ऑर्डर तो लिए हैं पर सप्लाई अभी तक नहीं हुई है। इसकी वजह भी महिला बाल विकास विभाग और संचालनालय के बीच चल रही खींचतान बताया जा रही है।

खिलौनाें का नॉन टॉक्सिक प्रमाण-पत्र लिया गया है

सीएसआईडीसी ने खिलौनों के रेट कॉट्रेक्ट से पहले खिलौनों का नॉन टॉक्सिक प्रमाण पत्र लिया है। जांजगीर से खिलौनों की शिकायत मिलने के बाद हमने कुछ मुद्दों पर आपत्ति ली है। जिसे बाद में क्लियर किया गया है। अब किसी तरह का कोई मुद्दा नहीं है।
- दिव्या उमेश मिश्रा, संचालक, संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग


To Top