केंद्र व राज्य सरकार के फैसलों से नाराज किसान गुरुवार को राजभवन घेरने निकले थे। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के नेतृत्व में प्रदेश के सैकड़ों किसानों प्रेस क्लब के पास जमा हुए। वे रैली के रूप में राजभवन के लिए।
प्रदर्शनकारी किसान राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर असंतोष व्यक्त कर रहे थे। किसानों हाथों में मांगों से संबंधित तख्तियां और झंडे थे। दरगाह के समीप बैरिकेट लगाकर पुलिस ने किसानों को राजभवन की ओर जाने से रोक दिया। प्रदर्शनकारी किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को विरोध कर रहे थे। सौंपने कहा गया। इसे किसानों ने ठुकरा दिया। वे इस बात पर अड़ गए कि राजभवन का कोई अधिकारी आकर उनका पत्र ले। बाद में नायब तहसीलदार सोनकर ने ज्ञापन लिया। प्रदर्शन में राजकुमार गुप्त, आईके वर्मा, झबेंद्र भूषण वैष्णव, दुर्ग जिला के उत्तम चंद्राकर, बेमेतरा जिला के रामसहाय वर्मा, कांकेर जिले के एस आर नेताम, छत्तीसगढ़ी किसान समाज के सुबोध देव आदि शामिल थे।
आज राजधानी में किसान संसद
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ कृषि कानून के खिलाफ राजधानी में बूढ़ातालाब धरना स्थल पर शुक्रवार की सुबह 11 बजे “किसान संसद” लगाएगा। इसमें छत्तीसगढ़ के सभी सांसदों को आमंत्रित किया गया है। देश के किसानों के साथ छत्तीसगढ़ के किसान संगठनों ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इस कानून की वापसी की मांग को लेकर राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन भी किसान संसद द्वारा पारित की जाएगा। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर देशभर के किसान केंद्र के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं। 26-27 नवंबर को दिल्ली में प्रदर्शन करने जा रहे अनेक राज्यों के किसानों को रास्ते में रोक दिया गया है।
महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य रूपन चन्द्राकर, तेजराम विद्रोही, जागेश्वर जुगनू चन्द्राकर, जनकलाल ठाकुर, द्वारिका साहू पारसनाथ साहू, गौतम बंदोपाध्याय और डॉ. संकेत ठाकुर ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन के पहले दिन पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सहित अनेक स्थानों में किसानों की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है।