जिला प्रशासन के द्वारा सार्वजनिक छठ पुजा पर लगाये गये पाबंदी का विरोध होना शुरू हो गया है। उक्त संदर्भ में बयान जारी कर सामाजिक कार्यकर्ता श्री रविंद्र तिवारी ने कहा कि छठ महापर्व एक ऐसा पर्व है जिसमें हिंदु धर्मावलंबी मन्नत मांगते हैं और मन्नत के बाद छठ का पुजा बड़े भक्तिभाव एवं विधि विधान से करते हैं। इस पुजा के संकल्प के बाद इसे टाला नहीं जा सकता है, छठ पूजा करना ही पड़ता है। सरगुजा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु इस पूजा को करते हैं। जिला प्रशासन ने सार्वजनिक छठ पुजा में रोक लगा दिया है तथा सभी घाटों को बंद करने का निर्णय लिया गया है। चुकी इस पुजा में पानी में खड़े हो कर डुबते तथा उगते सुर्य देव को अर्घ दिया जाता है इसलिए नदी या तालाब की आवश्यकता पड़ती है। प्रशासन का कहना है कि घर में पुजा करें लेकिन ज्यादातर लोगों के घरों में इतना स्थान नहीं है कि जल भराव कर उसमें खड़े होकर अर्घ दे सकें। इसलिए आम जनता की यह मांग है कि प्रशासन पुनर विचार करे और प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत सामाजिक दुरी बनाकर इस पर्व को मनाने की अनुमति दे। छठ पूजा के लिए अम्बिकापुर शहर के आस पास विभिन्न नदीयां है अनेकों तालाब हैं जहां पर कड़े नियम बनाकर छठ महापर्व का आयोजन हो सकता है इसलिए प्रशासन को इस संदर्भ में गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।