कैंसर ठीक नहीं होता सुनकर छोड़ चुके थे जीने की आस... इलाज और फैमिली सपाेर्ट से हुए स्वस्थ...

कैंसर ठीक नहीं होता सुनकर छोड़ चुके थे जीने की आस... इलाज और फैमिली सपाेर्ट से हुए स्वस्थ...

Avinash

स्टमक और पैन्क्रियाटिक कैंसर अवेयरनेस मंथ के तहत एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल की ओर से अवेयरनेस प्रोग्राम रखा गया। स्टमक और पैन्क्रियाटिक कैंसर को मात दे चुकी पेशेंट माधवी वर्मा और सुखजनी ने अपना एक्सपीरियंस शेयर किया। उन्होंने बताया, जब कैंसर हाेने की बात पता चली ताे काफी घबरा गए थे। जीवन की उम्मीद खाे चुके थे, लेकिन परिवार और डाॅक्टर्स ने हाैसला दिया और हम ठीक हाेते चले गए।

कैंसर लाइलाज नहीं, फर्स्ट-सेकेंड स्टेज में इसकी पहचान हाेने से इलाज संभव
सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. मउ रॉय ने बताया, कैंसर लाइलाज नहीं, समय पर पता चल जाए ताे इसका इलाज संभव है। भारत में पेट के कैंसर के केसेस कम मिलते हैं। एक लाख लोगों में से 3 से 12 लोगाें में ही पेट के कैंसर की आशंका हाेती है। कैंसर के प्रति लोगों को अवेयर करने की जरूरत है। फर्स्ट या सेकंड स्टेज में ही अगर बीमारी की पहचान हाे जाए ताे पेशेंट की जान बचाई जा सकती है। फोर्थ स्टेज पहुंचने के बाद पेशेंट को रिकवर कर पाना बेहद मुश्किल होता है। पेट के कैंसर के लिए लाइफस्टाइल और खान-पान बहुत मायने रखता है। डॉ. सिद्धार्थ तुरकर, डॉ. पीयूष शुक्ला, डॉ. अनुपम महापात्रा, डाॅ. अभिषेक जैन ने कैंसर के लक्षण और ट्रीटमेंट की जानकारी दी। इस मौके पर हॉस्पिटल के फैसिलटी डायरेक्टर नवीन शर्मा, मेडिकल डायरेक्टर डॉ. आलोक कुमार, मार्केटिंग हैड रवि भगत सहित अन्य मौजूद रहे।

8 कीमोथैरेपी और 3 ऑपरेशन के बाद जीती जंग
धरसींवा, पंडरभट्‌ठा के रहने वाले पवन वर्मा ने बताया, पत्नी माधवी वर्मा को दो साल पहले स्टमक कैंसर हो गया था। अक्सर पेट दर्द होता था। बिना कुछ खाए-पिए पेट में भारीपन रहता था। असहनीय दर्द की शिकायत पर चेकअप कराया। डॉक्टर्स ने बताया कि खाने की थैली में कैंसर है। कैंसर का नाम सुनते ही मैं टूट गया। खूब रोया, फिर खुद को संभाला। पत्नी को पता नहीं चलने दिया कि उसे कैंसर है। वो पूछती थी कि मुझे क्या हुआ है तो कह देता था कि कुछ नहीं। डॉक्टर बोल रहे हैं कि पेट में थोड़ी समस्या है, ठीक हो जाओगी। लगभग एक साल बाद उसे कैंसर की बात पता चली तो खूब रोई। पूरे परिवार ने उसका हौसला बढ़ाया। ऑपरेशन के समय एक हफ्ते तक बेहोश रहीं। आठ कीमोथेरेपी और तीन ऑपरेशन के बाद माधवी अब पूरी तरह से स्वस्थ है।

बेटे ने लोन लेकर कराया मां का इलाज
राजनांदगांव के बीरीकला गांव की 50 साल की सुखजनी भुआर को दो साल पहले कैंसर हो गया था। बेटे ने लोन लेकर मां का इलाज कराया। सुखजनी 9 महीने से पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन्होंने बताया, मेरा वजन अचानक कम होने लगा था। शरीर में खून की कमी और कमजोरी लगती। हॉस्पिटल जाने पर डॉक्टर दवा कर देते। एक-दो बॉटल खून चढ़ा देते, जिससे दाे से तीन महीने तक ठीक रहती, फिर तबियत बिगड़ जाती। खून नहीं बन रहा था। बेटा चेकअप के लिए मुझे रायपुर ले आया। जांच में पता चला कि पेट में कैंसर है। कैंसर का नाम सुनते ही घबरा गई। समझ ही नहीं आ रहा था कि मुझे कैसे कैंसर हो गया। परिवार ने हिम्मत बढ़ाई। डॉक्टर्स ने भी समझाइश दी कि ऑपरेशन के बाद ठीक हो जाओगी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि कभी ठीक हो पाऊंगी। पहले कई लोगों से सुना था कि कैंसर के बाद मरीज ठीक नहीं हो पाता। लेकिन सुनी-सुनाई बात गलत निकली। ऑपरेशन के बाद अब पूरी तरह ठीक हूं।

स्टमक कैंसर के लक्षण

  • स्टमक कैंसर अधिकतर 50 साल की उम्र के बाद होता है। इसका सबसे बड़ा लक्षण है पेट दर्द होना। पेट फूलना।
  • व्यक्ति को बार-बार उल्टी होना। उल्टी होने के दौरान खून निकलना।
  • वजन कम होना। भूख न लगना।
  • खून की कमी, मल द्वार से खून निकलना।
  • खाना निगलने में तकलीफ होना।

पैन्क्रियाटिक कैंसर के लक्षण

  • पेट के ऊपरी हिस्से में लगातार दर्द होना। पीठ दर्द होना।
  • भूख न लगना। वजन कम हो जाना।
  • पीलिया होना, थकान लगना।
  • उल्टी होना, शुगर अनकंट्रोल हो जाना।
  • बार-बार बुखार आना।
  • त्वचा का रूखापन बढ़ना।
  • बेचैनी बने रहना या उल्टी होना।


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