भरी बैठक में ननकी का सवाल- 15 साल अच्छे काम किए तो हारे क्यों?...

भरी बैठक में ननकी का सवाल- 15 साल अच्छे काम किए तो हारे क्यों?...

Avinash

भाजपा के प्रशिक्षण सत्र के अंतिम दिन पूर्व मंत्री व वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकीराम कंवर ने अपनी ही पार्टी पर सवाल खड़े किए। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के उद्बोधन के दौरान कंवर ने सवाल किया कि जब भाजपा ने 15 साल में इतने अच्छे काम किए तो हार क्यों हुई? इस सवाल पर चंद्राकर को यह कहना पड़ा कि आप वरिष्ठ हैं, इसलिए बेहतर जानते होंगे। चंद्राकर ने यह कहकर सवाल को टाल दिया कि प्रशिक्षण सत्र इस विषय के लिए नहीं है। दरअसल, चंद्राकर 15 साल की उपलब्धियों के बारे में बता रहे थे, तभी कंवर ने यह सवाल किया। आरएसएस के प्रांत प्रचारक प्रेम सिंह सिदार ने भी भाजपा के संबंध में टिप्पणी की। उन्होंने संघ परिवार पर चर्चा के दौरान कहा कि भाजपा के नेता अन्य आनुषांगिक संगठनों के कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लेते। संगठन महामंत्री पवन साय का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वे साय को कहते रहते हैं कि वे काजल की कोठरी में हैं, इसलिए बच के रहें। आनुषांगिक संगठनों में सामंजस्य नहीं होने पर भी उन्होंने सवाल खड़े किए।

राज्य सरकार ने नक्सलियों के सामने घुटने टेके, इसके दुष्परिणाम भोगने पड़ेंगे: सरोज
भाजपा की पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. सरोज पांडेय ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने नक्सलियों के सामने घुटने टेक दिए हैं। इसके दुष्परिणाम सभी को आने वाले समय में भोगने पड़ेंगे। डॉ. रमन सिंह की सरकार ने नक्सलवाद से मजबूती से लड़ने का काम किया। झीरम घाटी की घटना बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण है। उस समय बड़े-बड़े आरोप लगाने वाले कांग्रेस के नेता कहते थे, हमारी सरकार आने दीजिए, हमारी जेब में सबूत है। अब उन्हें क्या हो गया? अब कांग्रेस के नेता सबूत क्यों नहीं निकालते? सरोज ने कांग्रेस की सभी योजनाओं को राजनीति से प्रेरित बताया है।

पूंछ दिखाकर घोड़ा बेचना चाह रही कांग्रेस: अजय
पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि कांग्रेस पूंछ दिखाकर घोड़ा बेचना चाह रही है। कर्ज के दलदल में धंसा कर केंद्र से मिली राशि से वाहवाही बटोरने में लगी है। राम वन गमन पथ हो या फ्लैगशिप योजना नरवा गरुवा घुरवा बारी, किसी के लिए बजट नहीं रखा है। नए विधानसभा भवन के लिए शिलान्यास हो चुका है, लेकिन उसके लिए प्रशासकीय स्वीकृति अभी तक नहीं मिली है। कांग्रेसियों ने पहले तीन सालों में अलगाववाद, अधिनायकवाद का बीज बोया।



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