धरमजयगढ़ वन मंडल में हाथियों को जंगल भीतर रोकने दर्जनों उपाय अब तक फॉरेस्ट अपना चुका है, लेकिन कोई भी उपाय कारगर साबित नहीं हुआ। नए डीएफओ मणिवासगन एस क्षेत्र के हाथियों के व्यवहार को परखने के बाद डिफेंड तकनीक रूप में ऐसी खुशबू वाले केमिकल का छिड़काव कराया है जो हाथियों को पसंद नहीं है। जहां-जहां स्प्रे किया गया था, वहां हाथियों ने धान नहीं खाया जबकि जहां स्प्रे नहीं हुआ वहां की फसल चट कर गए।
इसमें खर्च ज्यादा है इसलिए इसके व्यापक इस्तेमाल के लिए शासन से अनुमति मांगी है। स्वीकृति मिलने पर इसका इस्तेमाल खेतों के साथ घरों में किया जाएगा। हाथियों को पंचगव्य, नीम, करेला के अलावा कड़वे खाद्य पदार्थ पसंद नहीं हैं। साथ ही जहां इसकी खुशबू आती है, उन क्षेत्रों में प्रवेश नहीं करते हैं। यह लिक्विड बाजार में 200 रुपए तक में उपलब्ध हैं।
4 हेक्टेयर के खेत में इसके इस्तेमाल पर 28 सौ रुपए खर्च है। इसलिए विभाग शुरुआत में हाथियों की मौजूदगी जहां सबसे ज्यादा है, वहां छिड़काव की अनुमति शासन से मांगेगी। डीएफओ का मानना है कि इससे हाथी और ग्रामीणों के बीच द्वंद कम होगा।
जनहानि व फसल नुकसान से बचने उपाय
केरल और तमिलनाडु में हाथी भगाने के लिए इसका इस्तेमाल कुछ महीनों पहले ही शुरू हुआ है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने के बाद धरमजयगढ़ डीएफओ ने फसल नुकसान और जनहानि रोकने यह प्रयोग प्रदेश में पहली बार धरमजयगढ़ में कराया है।
पांच झुंड में 66 हाथी कर रहे विचरण
क्षेत्र में छोटे बड़े पांच अलग-अलग झुंड में 66 हाथी धरमजयगढ़ के हाथी प्रभावित क्षेत्रों में विचरण कर रहे हैं। इसमें 25 नर, 25 मादा और 16 नन्हे शावक भी शामिल हैं। नागदरहा सबसे ज्यादा 13 और ओंगना में 12 हाथियों का बड़ा झुंड काफी दिनों से डटा हुआ है।
32 किसानों की फसल बर्बाद कर दी हाथियों ने
शनिवार को हाथियों ने 32 किसानों की खड़ी फसल चौपट कर दी। हाथियों ने सबसे ज्यादा सिंघीछाप और बोजिया में 15, कोंध्रा में 3, नागदरहा में 12 और ओंगना में 2 किसानों की फसल बर्बाद की है। विभाग ने किसानों की फसल के नुकसान का आकलन कर मुआवजा प्रकरण तैयार कर रही है।
प्रयोग सफल, लेकिन खर्च ज्यादा
हाथियों को जो चीजें ना पंसद हैं, उसका स्प्रे हमने प्रायोगिक तौर पर छाल और धरमजयगढ़ के दो-दो हेक्टेयर खेत और कुछ आबादी वाले इलाकों में कराया था। हाथियों का झुंड यहां पहुंचा, लेकिन जहां स्प्रे कराया गया था, वहां नुकसान नहीं पहुंचाया। हमारा यह प्रयोग सफल है, लेकिन इस पर खर्च ज्यादा है।
मणिवासगन एस, डीएफओ धरमजयगढ़