
राजधानी में छोटे-बड़े होटल, रेस्टारेंट, मैरिज हॉल और सामुदायिक भवन जैसे परिसरों में अब कोई भी आयोजन होगा तो आयोजकों को इस बात का खयाल रखना होगा कि इनसे प्रदूषण न फैले। ऐसा नहीं है कि यह जिम्मा केवल आयोजकों पर छोड़ा गया है। एनजीटी के निर्देश के बाद अब नगर निगम का अमला ऐसे हर आयोजन पर नजर रखेगा और सुनिश्चित करेगा कि प्रदूषण न फैले। अगर ऐसा पाया गया तो निगम अमले को ऐसे आयोजनों पर तगड़े फाइन का अधिकार भी दे दिया गया है।
दरअसल एनजीटी ने होटल, रेस्टारेंट, मैरिज हॉल, सामुदायिक भवन जैसे परिसरों में होने वाले बड़े अायोजनों की वजह से होने वाले पर्यावरण क्षति या प्रदूषण को रोकने के लिए यह पहल की है। इसके तहत वायु और ध्वनि प्रदूषण तथा कचरे की वजह से जल स्त्रोत के प्रदूषित होने की आशंका भी शामिल है। इन सभी मामलों में नगर निगम ही ऐसे आयोजनों पर नजर रखेगा। साथ ही इसे रोकने के लिए उपाय भी करने होंगे। अब तक यह होता रहा है कि किसी बड़े आयोजन के बाद बड़े पैमाने पर गंदगी वहीं छोड़ दी जाती है। इसलिए अब आयोजकों के लिए भी जरूरी किया जा रहा है कि आयोजन की अनुमति लेते समय वह बताएं कि उनके आयोजन में किस तरह का कचरा निकलेगा और वह इसका डिस्पोजल (नष्ट) कैसे करवाएंगे और प्लास्टिक वेस्ट का डिस्पोजल किस तरह होगा, वगैरह। यही नहीं, निगम अमले को होटल, मैरिज हाल जैसे परिसरों से नियमित रूप से बिंदुवार जानकारी भी जुटानी होगी कि संबंधित परिसरों में वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण को रोकने के साथ कचरे के प्रबंधन के लिए किस तरह के उपाय किए जा रहे हैं। जहां भी मुफीद बंदोबस्त नहीं होंगे, वहां निगम चेतावनी के साथ कार्रवाई भी कर सकेगा।
यूजर चार्ज के अलावा रहेगा फाइन
रेस्टारेंट
- कुर्सी नहीं हैं तब 250 रुपए
- 25 कुर्सी से कम - 300 रु.
- 25 से 50 के बीच- 400 रु.
- 50 कुर्सी से ज्यादा - 600 रु.
होटल
25 कमरे से कम
600 रु., प्रति गार्डन 400 रुपए, प्रति बैंक्वे हॉल - 500 रु.
25 से 50 कमरे
1100 रुपए, प्रति गार्डन 500 रु., प्रति बैंक्वे हॉल -1000 रु.
50 कमरे से ज्यादा
1600 रुपए, प्रति गार्डन 800 रु., प्रति बैंक्वे हॉल 2100 रु..
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