पत्थलगांव के पूर्व थानेदार ओमप्रकाश ध्रुव ने कोतवाली थाने में दुष्कर्म का मामला दर्ज होने के लगभग एक साल बाद कोर्ट में सरेंडर कर दिया। 15 अक्टूबर को गुपचुप तरीके से ध्रुव ने पहले कोर्ट में सरेंडर कर अपने वकील के माध्यम से जमानत की अर्जी लगाई। आवेदन निरस्त होने के बाद पुलिस ने उसे एक दिन की रिमांड पर लिया। 16 अक्टूबर को कोर्ट ने उसे 20 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
अक्टूबर 2019 में 33 वर्षीय एक आदिवासी महिला ने कोतवाली थाने में पुलिस इंस्पेक्टर ओमप्रकाश ध्रुव के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत की थी। अपराध क्रमांक 1064/2019, धारा 376 के तहत कोतवाली थाने में मामला दर्ज किया गया था। महिला ने बताया था कि ध्रुव से उसकी पहचान दिसंबर 2017 में कांसाबेल में हुई थी। जानकारी के मुताबिक पीड़ित महिला एक बच्चे की मां है। महिला ने बताया था कि ध्रुव ने उससे शादी करने की बात कही और अगस्त 2019 तक रायगढ़ के एक होटल में बुलाकर संबंध बनाते रहे।
महिला ने शादी का दबाव बनाया तो अगस्त 2019 की शुरुआत में ध्रुव उसके घर गए और बात की। ध्रुव ने शादी से इनकार किया और सबकुछ भूल जाने के लिए कहा। खुद को ठगा महसूस कर रही महिला ने अक्टूबर 2019 में कोतवाली थाने में शिकायत की और पुलिस मुख्यालय को भी शिकायत भेजी। डीजीपी ने रायगढ़ एसपी को मामले की जांच करने के लिए कहा। मामले में दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया । जशपुर एसपी ने इंस्पेक्टर ध्रुव को पत्थलगांव से हटाकर जशपुर मुख्यालय में लाइन हाजिर कर दिया।
सरेंडर करने की किसी को नहीं लगने दी भनक
अपराध दर्ज होने के लगभग एक साल बाद इंस्पेक्टर ओमप्रकाश ध्रुव चुपचाप कोर्ट पहुंचे और सरेंडर किया। उसकी तरफ से अधिवक्ता सुनील ठाकुर ने न्यायिक दंडाधिकारी अंशुल वर्मा की कोर्ट में जमानत अर्जी लगाई। कोर्ट ने अर्जी नामंजूर की। कोतवाली पुलिस ने ध्रुव की एक दिन की रिमांड मांगी। 15 को रिमांड पर रखने और पूछताछ किए जाने की भी कोतवाली पुलिस ने मीडिया को भनक नहीं लगने दी। 16 अक्टूबर को ध्रुव को कोर्ट में पेश किया गया। यहां से उसे 20 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया। इस विषय पर कोतवाली पुलिस समेत तमाम अफसर जानकारी नहीं होने की बात कहते रहे।
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