@रायपुर (वेब न्यूज़)//सीएनबी लाईव।।
गोधन न्याय योजना के तहत गौठान समितियों से खरीदे गए गोबर से जैविक खाद बनाने के साथ ही उसके बहु उपयोगिता पर मंगलवार को मंथन हुआ। इसके गोबर और बायोमास से बायो सीएनजी तैयार करने पर भी विचार विमर्श किया गया।
कृषि एवं पशुपालन मंत्री रविंद्र चौबे ने योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि छोटी-छोटी परियोजना तैयार कर गोबर को लाभकारी बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस योजना को और अधिक लाभकारी कैसे बनाए जाए इस दिशा में क्या-क्या किया जा सकता है इस पर भी विचार किया जाए। उन्होंने कहा कि इस योजना के जरिए राज्य में 700 से 800 करोड़ रूपए की वर्मी कम्पोस्ट खाद का कारोबार महिला समूहों एवं सोसायटियों के माध्यम से होगा। इससे ग्रामीणों को रोजगार और सोसायटियों को संबल मिलेगा। इस दौरान जैविक खाद के निर्माण की स्थिति, पैकेजिंग और मार्केटिंग पर भी विस्तार से चर्चा की गई।छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल अथॉरिटी के अधिकारियों ने गोबर और बायोमास से बायो सीएनजी तैयार करने के तकनीक बताई।
अब तक 30 करोड़ रुपए की गोबर खरीदी
मंत्री चौबे ने कहा कि राज्य में हरेली पर्व से शुरू हुई गोधन न्याय योजना के तहत अब तक गौपालकों एवं गोबर विक्रेताओं से लगभग 30 करोड़ रुपए का गोबर खरीदा जा चुका है। यह गोबर प्रदेश के 3247 से अधिक गौठानों में गौठान समितियों के माध्यम से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालकों और गोबर संग्राहकों से खरीदी गई है। चौबे ने कहा कि योजना को व्यापक बनाते हुए खरीदे गए गोबर से जैविक खाद निर्माण सहित मल्टी उत्पाद और बहुउपयोगी बनाकर ग्रामीणों और महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराया जाए। बैठक में सीएम सलाहकार प्रदीप शर्मा, पंचायत प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, कृषि सचिव डॉ. एम. गीता, नगरीय प्रशासन सचिव डी.अलरमेलमंगई, सहकारिता सचिव हिमशिखर गुप्ता, संचालक कृषि नीलेश क्षीरसागर, कामधेनु विवि कुलपति डॉ. एन.पी. दक्षिणकर और कृषि विवि कुलपति डॉ. एस. के. पाटिल, अपर संचालक उद्योग प्रवीण शुक्ला अन्य अधिकारी उपस्थित थे।