@दिल्ली (वेब न्यूज़)//सीएनबी लाईव।।
मां कालरात्रि दुर्गा का सातवां स्वरूप है । यह स्वरूप काल का नाश करने वाला है, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। इनका वर्ण अंधकार की भांति एकदम काला है। बाल बिखरे हुए हैं और इनकी माला बिजली की भांति देदीप्यमान है। इन्हें तमाम आसुरिक शक्तियों का विनाश करने वाला बताया गया है।


भारत की अग्नि मिसाइलें। वे अस्त्र जिनसे हमारे सभी दुश्मन खौफ खाते हैं। वे अस्त्र जिनके जरिए हमें परमाणु हथियारों को दुश्मन की सरजमीं तक पहुंचाने की क्षमता हासिल हुई। यों तो इन मिसाइलों को डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है, मगर इनमें वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. टेसी थॉमस की सबसे बड़ी भूमिका है। वह अग्नि-3 मिसाइल प्रोजेक्ट की एसोसिएट डायरेक्टर रहीं तो अग्नि-4 और अग्नि-5 प्रोजेक्ट्स की डायरेक्टर। यानी अग्नि-4 और अग्नि-5 मिसाइल प्रोजेक्ट्स की अगुवाई पूरी तरह टेसी थॉमस ने की। भारत के किसी मिसाइल प्रोजेक्ट को लीड करने वाली वह पहली महिला हैं। उन्होंने लंबी दूरी की मिसाइलों के लिए गाइडेंस स्कीम का डिजाइन बनाया है। यही डिजाइन सभी अग्नि मिसाइलों में इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि डॉ. टेसी थामस को भारत की मिसाइल वूमेन और अग्निपुत्री भी कहा गया। अग्नि -3 की मारक दूरी 3 हजार किलोमीटर है, तो अग्नि-4 की 3.5 से 4 हजार किलोमीटर। वहीं, अग्नि-5 मिसाइल 5 हजार किलोमीटर दूर तक दुश्मन पर तबाही बरपा सकती है।
आठवीं क्लास में थीं, जब पिता को हो गया था पैरालिसिस
टेसी का जन्म केरल के अलापुझा (एलेप्पी) में 1963 में हुआ था। मदर टेरेसा के नाम पर उनका नाम टेसी रखा गया। उनके पिता एक छोटे व्यवसायी थे। उनकी चार बहनें और एक भाई हैं। टेसी 8 क्लास में थीं तो उनके पिता को पैरालिसिस हो गया। मां टीचर तो थीं, लेकिन तब वह जॉब नहीं करती थीं। टेसी का कहना है कि इस घटना के बाद मां ने सोचा कि जीवन चलाने के लिए सभी को पढ़-लिखकर कुछ करना जरूरी है। यही बात सभी भाई बहनों के दिल में घर कर गई। मुसीबत के बावजूद सभी ने मेहनत से पढ़ाई की और आज सभी अच्छे पदों पर हैं। डॉ. टेसी के पति सरोज कुमार भारतीय नौसेना में कमांडर हैं। उनका एक बेटा है, जिसका नाम तेजस है।
घर के करीब था रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन, इसलिए पनपा जुनून
टेसी का मिसाइलों की अद्भुत दुनिया से परिचय बचपन में ही हो गया था। दरअसल, थुंबा रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन के पास ही उनका घर था। यहां से उड़ान भरते रॉकेट देखकर उनके मन में रिसर्च के लिए जुनून पैदा हुआ, जो समय के साथ और बढ़ गया। उन्हें कम उम्र से ही मैथ्स और साइंस बेहद पसंद थे। 11 और 12 वीं क्लास में उन्होंने मैथ्स में 100 में से 100 मार्क्स हासिल किए है।