कोरोना के बाद नसों में ब्लाॅकेज, पल्स रेट में गिरावट अनिद्रा-एंजाइटी जैसी शिकायतें... इनका भी अलग से होगा इलाज...

कोरोना के बाद नसों में ब्लाॅकेज, पल्स रेट में गिरावट अनिद्रा-एंजाइटी जैसी शिकायतें... इनका भी अलग से होगा इलाज...

Avinash

@छत्तीसगढ़ (वेब न्यूज़)//सीएनबी लाईव।। 

जिन लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ और वे ठीक हो गए, ऐसे हर पांचवें व्यक्ति को महीने-डेढ़ महीने के भीतर कुछ अलग तरह के शारीरिक डिसआर्डर का सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश को बाद में सर्दी-खांसी-बुखार, सांस लेने में दिक्कत, अनिद्रा या एंजाइटी जैसी समस्याएं हैं, तो कुछ लोगों में गंभीर समस्याएं भी सामने आई हैं। ऐसे मरीज भी अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिनका खून गाढ़ा होने की वजह से चक्कर और सिरदर्द तथा खून की नसों में ब्लाॅकेज आ गया था। एक मरीज की हार्ट की मसल भी सूजी मिली है, जिसे डाक्टरों ने मायो-कार्डायरिस बताया है। इसके अलावा अनिद्रा, डिप्रेशन व एंजाइटी के मामले भी आ रहे हैं।
भास्कर ने कोरोना से लड़कर स्वस्थ होने वाले लोगों के बारे में अलग-अलग विभागों के आधा दर्जन डाक्टरों से बात की, तब उन्होंने बताया कि जितने लोग कोरोना से ठीक हो रहे हैं, उनमें से लगभग 20 फीसदी में बाद में कोई न कोई साइड इफेक्ट हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान कई मरीजों के खून गाढ़ा होने की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। इस वजह से कुछ लोगों में किसी न किसी नस में क्लाॅटिंग का भी पता चला है। यह क्लाॅट अगर हार्ट, ब्रेन, किडनी, लीवर या दूसरे अंगों में चला जाए तो हालात बिगड़ सकते हैं। इसलिए कोरोना के दौरान मरीजों को खून पतला रखने की दवाइयां भी दी जा रही हैं।

डॉक्टरों के अनुसार वायरस के कारण इंफेक्टेड फेफड़ों की वजह से मरीज के शरीर में कई दिन तक जरूरत से कम ऑक्सीजन जाती है। इससे ब्रेन की जरूरत भी पूरी नहीं हो पाती। इस वजह से साइड इफेक्ट हो रहे हैं। हालांकि डाक्टरों का यह भी कहना है कि इस मामले में रिसर्च भी चल रही है। डीकेएस में न्यूरो सर्जरी के एचओडी डॉ. राजीव साहू के अनुसार 20 फीसदी मरीजों में पैरालिसिस के केस आ रहे हैं। इनमें युवा ज्यादा हैं।


अंबेडकर अस्पताल में प्रदेश की पहली पोस्ट कोरोना ओपीडी शुरू
काेरोना से स्वस्थ होने के कुछ दिन बाद अलग तरह के साइड इफेक्ट की शिकायतों के इलाज के लिए प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी कोविड सेंटर अंबेडकर अस्पताल में बाह्यरोगी विभाग (ओपीडी) शुरू कर दिया गया है। यह ओपोडी अस्पताल के रेस्पिरेटरी विभाग में सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक 4 घंटे के लिए कमरा नंबर 341 में खोली जा रही है। इसमें रोजाना 15 से 20 लोग पहुंच रहे हैं, जो कोरोना से स्वस्थ होने के बाद किसी न किसी तरह के साइड इफेक्ट के बारे में बता रहे हैं। इसमें ब्रेन व लंग के अलावा दूसरी जरूरी जांच की सुविधा है। मनोरोग विभाग के एचओडी डॉ. मनोज साहू ने बताया कि मरीजों को छह माह से लेकर सालभर फालोअप में बुलाया जाएगा। ओपीडी में चेस्ट एक्सपर्ट, जनरल फिजिशियन, मनोरोग विशेषज्ञ व फिजियोथैरेपिस्ट की ड्यूटी लगाई गई है। जो मरीज वेंटीलेटर पर रहे, यहां उनके ब्रेन की जांच भी शुरू की गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कोरोना संक्रमण के दौरान ब्रेन में कम ऑक्सीजन जाने से यह डैमेज तो नहीं हुआ है।

केस - 1
पैर की उंगलियां काली पड़ने लगीं
52 साल का कोरोना संक्रमित 20 दिन अस्पताल में रहा। घर लौटा तो पैर की उंगलियां काली पड़ने लगीं। कार्डियो-थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी विभाग गया, तब जांच के बाद वहां सर्जरी करनी पड़ी। कारण यह निकला कि नस ब्लाॅक हो गई थी।

केस - 2
रात में नींद नहीं आ रही, बेचैनी बढ़ी
हाल में कोरोना से उबरे 56 साल के व्यक्ति ने सोमवार को मनोचिकित्सा विभाग में जाकर शिकायत की कि रात में नींद नहीं आ रही है, कई तरह के ख्याल आने लगे हैं। डाक्टरों ने इस मामले को एंजाइटी मानकर इलाज शुरू कर दिया है।

स्वस्थ होने के बाद ये बीमारी भी

  • सिर, गले में दर्द
  • सूखी खांसी, कफ
  • सांस फूलना
  • शारीरिक कमजोरी
  • पल्मोनरी फाइब्रोसिस
  • पैर में कमजोरी
  • हाथ-पैर में दर्द
  • डिप्रेशन, अनिद्रा
  • थायराइड अटैक
  • याददाश्त कमजाेर

आर्टरी या पल्मोनरी थंबोसिस की शिकायत भी
डाक्टरों के अनुसार डिस्चार्ज होने के बाद या अस्पताल में ही कुछ मरीज आर्टरी या पल्मोनरी थंबोसिस का शिकार हो रहे हैं। इस केस में फेफड़े को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती व हालत बिगड़ने लगती है। राजधानी में ही दो-तीन मामले ऐसे हैं, जब कोरोना संक्रमित निगेटिव होने और पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से घर पहुंचा और दो-तीन दिन में सांस की दिक्कत से मृत्यु हो गई। डाक्टर इसे पल्मोनरी थंबोसिस बता रहे हैं।

लोगों में अब साइड इफेक्ट आ रहे
"कोरोना से स्वस्थ होने वाले मरीजों में साइड इफेक्ट सामने आ रहे हैं। इसलिए पोस्ट कोविड ओपीडी शुरू की गई है। इसमें सभी बीमारियों की जांच और इलाज होगा। मरीज को भर्ती भी करेंगे।"
-डॉ. आरके पंडा, एचओडी रेस्पिरेटरी अंबेडकर अस्पताल

खून गाढ़ा, इसलिए कुछ हिस्सा काला पड़ा
"यह बात सामने आ चुकी है कि संक्रमित मरीज का खून कुछ गाढ़ा हो जाता है। हमने ऐसे 4 मरीजों की सर्जरी की है, जिसमें नसें ब्लाॅक होने से हाथ या पैर का कुछ हिस्सा काला पड़ गया था।"
-डॉ. कृष्णकांत साहू, एचओडी सीटीवीएस एसीआई



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