
छत्तीसगढ़ में एक दिसंबर से शुरु होने वाली धान खरीदी पर केन्द्रीय कृषि कानून की छाया पड़ती नजर आ रही है। कोरोना के कारण बारदाने का संकट भी सामने है। लेकिन सरकार 700 नई सहकारी समितियां बनाकर किसानों के और करीब पहुंचने तथा केन्द्रीय कानून की काट में राज्य का नया कानून बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के संपर्क में भी है।
दरअसल 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी होने के कारण इस साल छत्तीसगढ़ में धान की बंपर पैदावार होने की संभावना है। सरकार खुद मान रही है कि इस सार लगभग 150 लाख मीट्रिक टन तक धान का उत्पादन होगा। वर्तमान में सरकार ने इस साल 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया है लेकिन बंपर उत्पादन को देखते हुए लग रहा है कि सरकार खरीदी का लक्ष्य बढ़ा सकती है लेकिन इस पर एक सप्ताह के भीतर होने वाली मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में फैसला होगा।
पीडीएस के साथ प्लास्टिक बारदानों की व्यवस्था
लॉकडाउन के कारण जूट मिल बंद हैं, जिससे बारदानों की खरीदी नहीं हो पाई है। इसके लिए सरकार ने पीडीएस के बारदानों को सुरक्षित रखने के लिए कहा गया है साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था के रुप में प्लास्टिक के बारदानों का भी उपयोग करने की संभावना है।
मार्कफेड और नान लेंगे 20 हजार करोड़ का कर्ज
धान खरीदी के लिए मार्कफेड और नान लगभग 20 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की तैयारी में है। इसके लिए सरकार अपनी गारंटी देती है। मार्कफेड को करीब 12 हजार करोड़ की जरूरत है। दोनों एजेंसियों ने बैंकों से आफर मांगे हैं। उन्हीं बैंकों से लिया जाएगा जो सबसे कम ब्याज दर पर राशि दे।
नई समितियों से कम दूरी पर मिलेगी किसानों की सुविधा
किसानों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखकर लगभग 700 नई सहकारी समितियां बनाई जा रही हैं। वर्तमान में कई जिलों में समितियों की दूरी काफी अधिक है जिससे किसान काफी परेशान होते हैं, लेकिन नई समिति बनने से किसानों को अपना जरूरी काम निपटाने के लिए ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ेगा।
बाहर का धान रोकना बड़ी चुनौती
नए कानून से व्यापारियों को कितना भी धान जमा करने की छूट दी गई है वहीं इसके परिवहन पर भी रोक लागू नहीं होगी ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार को ओड़िशा और बिहार जहां पर 900 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल में धान की बिक्री होती है वहां के वाहनों को छत्तीसगढ़ में प्रवेश से रोकना बड़ी चुनौती होगी।
"कृषि कानून से धान खरीदी प्रभावित होगी लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। यह खेती की ही ताकत है कि जीएसटी वसूली में छत्तीसगढ़ पूरे देश में दूसरे नंबर पर है जबकि देश की वसूली कम हुई है। छत्तीसगढ़ का 96 फीसदी आबादी की धान और चावल से आजीविका चलती है। यह लोगों के जनजीवन से जुड़ा बड़ा मसला है।"
-रविन्द्र चौबे, कृषि मंत्री
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/34tsucU
https://ift.tt/2HX547W