
पहले लाॅकडाउन के समय राजधानी में कोरोना प्रोटोकाॅल लागू हुआ। संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए मास्क अनिवार्य किया गया, भीड़ और अड्डेबाजी को गैरकानूनी करार दिया गया, कहीं भी थूकने पर बैन लगाया गया। नगर निगम समेत सरकारी एजेंसियों को इन मामलों पर कार्रवाई करते हुए छह माह बीत गए। अब तक सिर्फ रायपुर के 40 हजार से ज्यादा लोग इस कार्रवाई के दायरे में आ चुके हैं, लेकिन कायदे नहीं मानने वालों की संख्या रोज बढ़ रही है।
पिछले 15 दिन से रोजाना औसतन 300 लोगों पर मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और गंदगी फैलाने की कार्रवाई हो रही है। अर्थात, अपनी असावधानियों की वजह से दूसरों को खतरे में डालने वाले लोग राजधानी में कम होने के बजाय लगातार बढ़े हैं। निगम ने अब तक लोगों से 50 लाख जुर्माना वसूल लिया है। कोरोना की दवा जब तक नहीं आती तब तक मास्क ही दवा है। सोशल डिस्टेंसिंग रखकर कोरोना को खुद से दूर किया जा सकता है और सड़कों पर थूकने से बचकर दूसरों को भी इस बीमारी से बचाया जा सकता है। इसकी जानकारी होने के बावजूद बड़ी संख्या में आम लोग सड़कों पर इन नियमों की अनदेखी करते हुए चलते हैं। यही वजह है कि निगम के सभी 10 जोनों ने अपने-अपने वार्डों में स्वसहायता समूहों की महिलाओं को कार्रवाई की जिम्मेदारी दी है। नियम तोड़ने वालों पर 50 से लेकर 100 रु. तक का जुर्माना किया जा रहा है। गुरुवार को भी निगम के सभी 10 जोनों ने अलग-अलग बाजारों में कार्रवाई की। इस दौरान 331 लोगों पर कार्रवाई की गई। भास्कर ने अफसरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और साइकोलाजिस्ट से बात की।
मास्क के लिए भी अजीब तर्क : शहर में 90% से ज्यादा लोग मास्क पहन रहे हैं, लेकिन अब भी लगभग 10% लोगों ने खुद को मास्क से दूर रखा है। 23 हजार से ज्यादा पर कार्रवाई हो चुकी है। उनका तर्क यही है कि जो मास्क लगा रहे हैं, उन्हें भी कोरोना हो रहा है तो क्यों लगाएं?
इस तरह के कुतर्क
- दिनभर कैसे मास्क लगाएं, सांस फंसती है
- मास्क से ऑक्सीजन लेवल न गिर जाए
- सभी तो ठीक हो रहे हैं, इतना क्या जरूरी
डिस्टेंसिंग पर लापरवाही ज्यादा : सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रखने पर शहर में 14 हजार लोगों पर जुर्माना हो चुका है। ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जिन्होंने बाजारों में फिजिकल दूरी बनाने की कोशिश नहीं की। बाइक पर 3 सवारी और कार में सीटों से ज्यादा संख्या में घूमनेवाले भी कम नहीं हैं।
इस तरह के कुतर्क
- खरीदी करने आए हैं, तो दो लोग तो जरूरी हैं
- दोस्त तो है, मुझे पता है उसे कोरोना नहीं है
- हम तो गाड़ी में साथ बैठेंगे, कौन क्या करेगा?
थूकनेवाले 3 हजार से ज्यादा : कोरोना ही नहीं, सामान्य समय में भी सड़कों पर थूकना अभद्र आचरण हैं। पान-गुटखा इसकी बड़ी वजह है और शहर में ऐसे 3 हजार से ज्यादा लोगों पर जुर्माना हो चुका है।
इस तरह के कुतर्क
- सड़क पर नहीं थूकेंगे तो कहां थूकेंगे
- मैं कहीं पर भी थूकूं, तुम्हें क्या करना
- गुटखे की लत लगी है, थूकना मजबूरी
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