पर्यावरण संरक्षण की मिसाल: पीपल पेड़ के सात फेरे लेकर थामा पति का हाथ... 11 पौधे लेकर विदा हुई सविता आज हजारों पेड़ों की मां बन सहेज रही जीवन...

पर्यावरण संरक्षण की मिसाल: पीपल पेड़ के सात फेरे लेकर थामा पति का हाथ... 11 पौधे लेकर विदा हुई सविता आज हजारों पेड़ों की मां बन सहेज रही जीवन...




|ब्यूरो•बालोद|✍️पीयूष साहू|
एक साड़ी में बेटी को घर से विदा करने की बात आपने कई बार सुनी होगी पर हमारी सविता को एक साड़ी भी रास नहीं आई, वह अपने प्रकृति प्रेमी पति के साथ 11 पौधे लेकर पिता के घर से खुशी विदा हो गई, आज बालोद जिले के दल्ली राजहरा क्षेत्र के हजारों पेड़ों की मां बनकर उनकी देखरेख कर रही है, मंडप की जगह पीपल के पेड़ के फेरे लेकर पर्यावरण एक्टिविस्ट विरेन्द्र सिंह का हाथ थामने वाली सविता सिंह पिछले 8 सालों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लगातार काम कर रही है!

लोग कहते थे पागल है तेरा पति:

शादी के बाद भी प्रकृति प्रेमी पति अपने वेतन का आधा हिस्सा पेड़ पौधों की देखभाल में खर्च कर देता था, तब पड़ोस की महिलाएं कहती थी कि तेरा पति पागल है, समझाती क्यूं नहीं है! तब मैंने उनसे इतना कहा था कि पेड़ को साक्षी मानकर हाथ थामा है दुनिया के लिए वो भी एक पागल ही था, सविता ने बताया कि पति की प्रेरणा से अब वो भी नन्हे पौधे रोपे है, गांव गांव जाकर महिलाओं को से पेड़ और जंगल को काटने से रोकने के लिए जागरूक करते हैं!

बेटी का नाम भी प्रकृति:

संभाग के बालोद जिले में हरियर छत्तीसगढ़ अभियान से जुड़कर सैकड़ों पेड़ लगा चुकी है सविता ने अपनी बेटी का भी नाम प्रकृति रखा है। ताकि जब वो भी अपनी बेटी को देखें तो जल, जंगल, जमीन और वानस्पतियों के संरक्षण के लिए समर्पित होकर कार्य कर सकें। माता-पिता के साथ अब पांच साल की बेटी प्रकृति भी नन्हे हाथों से चित्र बनाकर पर्यावरण के लिए जागरूक करती है!

सविता कहती हैं दल्ली राजहरा में माइंस के दौरान हजारों की संख्या में पेड़ काटे थे, जिसकी वजह से वहां के इको सिस्टम के कई तरह के बदलाव हुए, वहीं  लाल पानी की समस्या के कारण हजारों एकड़ खेत बंजर हो गए! लोगों में जागरूकता के साथ अब इन बंजर जमीनों पर भी पौधे रोपने का अभियान उसने छेड़ा है, जो आने वाले समय में किसानों के लिए काफी मददगार होगा!!!
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