@छत्तीसगढ़ )कोरिया जिले के चरचा, पंडोपारा और कटकोना, देवखोल क्षेत्रों में एसईसीएल की खदानों के आस-पास कोयले की अवैध सुरंगें वर्षों से संचालित हो रही हैं। इन सुरंगों के जरिए कोयले की चोरी का गोरखधंधा लगातार जारी है। लेकिन पहली बार इस संगठित अवैध कारोबार के खिलाफ सत्ताधारी दल से किसी बड़े नेता ने खुलकर आवाज उठाई है।
भाजपा जिलाध्यक्ष देवेंद्र तिवारी ने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से क्षेत्र में चल रहे कोयला चोरी के रैकेट पर निशाना साधते हुए लिखा, "पटना, चरचा क्षेत्र में अवैध कोयला कारोबार अपराधियों के लिए सुरक्षित व्यापार बन गया है। कई गरीब मजदूर मौत के शिकार हो गए हैं। इसमें कई लोग राजनीति से जुड़कर रौब दिखाकर लोगों को डराते हैं। 2018 से शुरू हुआ यह खेल अब भी नहीं रुक पाया है। युवाओं को आगे आकर इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।"
तिवारी के इस पोस्ट के बाद स्थानीय लोगों में हलचल मच गई है। सैकड़ों लोगों ने उनके बयान का समर्थन करते हुए कोयले की अवैध खुदाई और चोरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि इस अवैध कारोबार से न केवल सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है, बल्कि स्थानीय युवाओं को अपराध की दलदल में धकेला जा रहा है।
बड़ी बात यह है कि यह पहला मौका है जब सत्ताधारी दल के शीर्ष जिला नेता ने इस संगठित अवैध कारोबार के खिलाफ आवाज बुलंद की है। अब सवाल उठने लगा है कि इस काले कारोबार के पीछे आखिर कौन से रसूखदार चेहरे हैं जो इसे संरक्षण दे रहे हैं?
स्थानीय सूत्रों की मानें तो कोयला चोरों के हौसले इतने बुलंद की 7 भजे से ही पिकअप वाहन से आवागमन चालू कर देते है...?
कौन दे रहा अवैध कम को संरक्षण ?
स्थानीय सूत्रों की मानें तो कोयला चोरों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि वे अब रेलवे की कोयले से भरी मालगाड़ियों को भी रोककर कोयला चोरी करने लगे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि यह काम किसी छोटे-मोटे गिरोह का नहीं, बल्कि संगठित अपराध का हिस्सा है जिसे किसी न किसी स्तर पर राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है।
अब देखना होगा कि भाजपा जिलाध्यक्ष की इस मुखरता के बाद प्रशासन क्या कदम उठाता है। क्या वाकई इस काले कारोबार पर लगाम लगाई जा सकेगी या एक बार फिर आवाजें सियासी गलियारों में गुम होकर रह जाएंगी?
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