@संतोष सिंह सूर्यवंशी//छत्तीसगढ़)
बसदेई चौकी क्षेत्र के ग्रामीणों को पोस्टमार्टम के लिए 30 किलोमीटर दूर सूरजपुर जिला अस्पताल का रुख करना पड़ता है। यह स्थिति क्षेत्र के 25-30 गांवों में रहने वाले लोगों के लिए बेहद कठिनाई भरी हो गई है। किसी परिजन की मृत्यु के बाद शव को इतने लंबे सफर पर ले जाना न केवल मानसिक, बल्कि आर्थिक रूप से भी भारी पड़ता है।
*प्रशासन की लापरवाही के कारण ग्रामीणों को झेलनी पड़ रही परेशानियां*
ग्रामीणों का कहना है कि शव को सूरजपुर ले जाने के बाद अक्सर उन्हें एक से दो दिनों तक इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए समय मिलना मुश्किल होता है। ऐसे में मृतक के परिजनों को शव को मुर्दाघर में रखने की मजबूरी होती है। खराब मौसम, दूरी, और परिवहन की असुविधा के कारण यह प्रक्रिया उनके दुख को और बढ़ा देती है।
*सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उठाई आवाज*
इस गंभीर समस्या को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता संदीप कुशवाहा के नेतृत्व में क्षेत्रीय निवासियों ने जिला प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास किया। जिला कलेक्टर की अनुपस्थिति में ग्रामीणों ने संयुक्त कलेक्टर बजरंग वर्मा को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि बसदेई क्षेत्र में पोस्टमार्टम की सुविधा की सख्त जरूरत है
*संयुक्त कलेक्टर का बयान और समाधान का भरोसा*
संयुक्त कलेक्टर बजरंग वर्मा ने ज्ञापन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए इसे जिला मेडिकल बोर्ड को भेजने का आश्वासन दिया। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकालने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
*ग्रामीणों का आक्रोश और प्रशासन से उम्मीद*
ज्ञापन सौंपने के दौरान बड़ी संख्या में युवा और सामाजिक कार्यकर्ता जैसे जय सिंह, बबलू, कमलेश पैकरा, विनोद पैकरा, राजेश विश्वकर्मा, अनिल, विजेंद्र, प्रकाश और रमेश उपस्थित रहे। सभी ने एक सुर में प्रशासन से मांग की कि बसदेई क्षेत्र में पोस्टमार्टम की सुविधा तुरंत उपलब्ध कराई जाए।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की यह उदासीनता न केवल उनकी परेशानी को बढ़ा रही है, बल्कि यह सरकारी सेवाओं की कमी को भी उजागर करती है। क्षेत्र में पोस्टमार्टम सुविधा उपलब्ध कराकर न केवल प्रशासन अपने दायित्व का पालन करेगा, बल्कि यह ग्रामीणों की मुश्किलों को भी खत्म करेगा।
समस्या के समाधान की उम्मीद
अब ग्रामीणों को प्रशासन से उम्मीद है कि उनकी आवाज को गंभीरता से लिया जाएगा। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो ग्रामीणों के विरोध-प्रदर्शन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
यह समस्या केवल एक स्वास्थ्य सेवा की कमी का मामला नहीं है, बल्कि यह प्रशासन की जिम्मेदारी और आमजन के अधिकारों का मुद्दा भी है। प्रशासन को जल्द से जल्द इस दिशा में कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ग्रामीणों का प्रशासन पर विश्वास बहाल हो सके।
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