कोरिया जिले में फिर मिला बाघ का शव, दो वर्ष पूर्व भी मृत मिला था बाघ
@छत्तीसगढ़//संतोष सिंह सूर्यवंशी)
कोरिया वन मंडल अंतर्गत गुरुघासी दास राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर-सोनहत सीमा क्षेत्र में स्थित देवसील-कटवार समीप नदी के किनारे मृत बाघ का शव शुक्रवार 8 नवंबर को मिला है। मिली जानकारी के अनुसार सूचना पर वन विभाग के सीसीएफ सहित वन अमला घटना स्थल पर पहुंचा लेकिन बाघ की मौत कैसे हुई इसका पता नहीं चल सका है। अधिकारियों के अनुसार बाघ की मौत कैसे हुई यह पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही स्प्ष्ट होगा वही विगत तीन वर्ष पूर्व एक बाघ की मौत इसी क्षेत्र में हुई थी बताया जा रहा है कि ग्रामीणाें ने उसे जहर देकर मार दिया था जिससे इस बार भी बाघ का शव मिलने के बाद जहर खुरानी की संभावना भी जताई जा रही है।लेकिन वन सीमा से नदारद रहने वाले जिम्मेदार अधिकारी इस घटना के बाद मोबाइल बंद कर क्या कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं ? वही पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ भी जानकारी उपलब्ध कराने की बात कह रहें ।
बता दें कि जून 2022 में कोरिया जिले के गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान के रामगढ़ रेंज में सलगवांखुर्द में बाघ का शव मिला था। इस घटना के बाद, ज़िले से लेकर प्रदेश के अफ़सरों में हड़कंप मच गया था ।
जिम्मेदार अफसर रहते हैं नदारत -मिली जानकारी अनुसार कोरिया जिले के अंतर्गत स्तिथ एक मात्र राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों के मुख्यालय से लगातार नदारत रहने व मध्यप्रदेश में स्थित किसी राष्ट्रीय उद्यान के बाघ की मौत कहीं न कही वन विभाग के अधिकारियों के निवास में न रहने व गस्ती को लेकर कई सवाल छोड़ गया जिसका जवाब अब पदस्थ अधिकारी के पास भी नही की आखिर इस मौत का जिम्मेदार कौन है।
कोरिया जिले में बाघों की सुरक्षा पर उठ रहे सवाल - कोरिया जिले में बार बाघ की मौत होने के बाद अब जिले के राष्ट्रीय उद्यान में दूसरे राज्य के बाघ के मौत के बाद अब जिले में बन रहे गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की सुरक्षा पर सवाल उठाने लगे हैं कि जंगलों में अन्य राज्यो के घूम रहे बाघ कितने सुरक्षित है। वही वन अमले की डॉग स्क्वायड के पहुँचने से इस मामले में और भी खुलासे होने की संभावना हैं । वन विभाग के अधिकारी बाघ की मृत्यु को लेकर सही समय मे नही पहुंचे थे लेकिन ग्रामीणों ने मामले को सोशल मीडिया में पोस्ट कर खुलासा कर दिया । जिसके बाद दोपहर बाद तक अधिकारी के पहुँचने का सिलसिला जारी रहा ।
जिम्मेदार अफसरों पर लग रहा है लापरवाही का आरोप -
गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में कुछ जगह सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रभारी डिप्टी रेंजरों व रेंजरों पर हैं जो कि जुगाड़ में रेंजर की कुर्सी पर बैठ तो गए किन्तु अपने अपने मुख्यालय से ज्यादातर नदारत रहते है । किन्तु अब बाघ की मौत ने इन प्रभारी रेंजरों व रेंजरों की सुरक्षा को लेकर मॉनिटरिंग पर कई सवाल छोड़ गये कि आखिर क्या मजबूरी हैं कि इन जुगाड़ के डिप्टी रेंजरों व रेंजर का तबादला नही होने के कारण एक ही जगह पर सालों से टीके हैं ।
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