छत्तीसगढ़ में महंगाई भत्ता मामले में मोदी की गारंटी फेल
भाजपा के कथनी और करनी में अंतर, बीजेपी भी कांग्रेस की राह पर
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@छत्तीसगढ़//संतोष सिंह सूर्यवंशी)
लंबे समय से छत्तीसगढ़ प्रदेश के कर्मचारी अधिकारी द्वारा केंद्र के समान महंगाई भत्ता की मांग की जा रही थी, और इसके लिए चरणबद्ध आंदोलन भी किया जा रहा था। आखिरकार मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के द्वारा 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने संबंधी निर्णय कैबिनेट में पास हो गया। और केंद्र के समान देय तिथि से नही दिए जाने के इसी आदेश के साथ छत्तीसगढ़ में मोदी की गारंटी फेल होता नजर आ रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के अन्य विभाग के कर्मचारियों के साथ स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने नाराजगी जाहिर कि है। स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष टार्जन गुप्ता और प्रदेश सचिव प्रवीण ढीडवंशी ने कहा कि बीजेपी राज्य में सरकार बनाने से पहले केंद्र के समान महंगाई भत्ता देय तिथि से देने की घोषणा और पूर्ववर्ती सरकार द्वारा लंबित देय तिथि के महंगाई भत्ता को जीपीएफ खाते में समायोजित करने की घोषणाएं की थी , जो सरकार बनते ही बदल गई। प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कदमों पर चलते हुए कर्मचारियों के देय तिथि जनवरी 2024 से मिलने वाले महंगाई भत्ते को 1 अक्टूबर से लागू किया गया है जो की कर्मचारियों के हितों पर कुठराघात है। संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष हरीश जायसवाल और आई टी सेल प्रभारी सुरेश पटेल ने कहा की प्रदेश के वर्तमान वित्त मंत्री चुनाव से पूर्व डीए को कर्मचारियों का मौलिक अधिकार मानते थे , पर अब सरकार बन जाने के बाद खुद ही महंगाई भत्ता देय तिथि से न देकर मौलिक अधिकारों का हनन कर रहे है। संघ के मीडिया प्रभारी संतलाल साहू ने कहा की सरकार बनने के पूर्व घोषणा पत्र के अध्यक्ष विजय बघेल द्वारा महंगाई भत्ता और गृह भाड़ा भत्ता को केंद्र के समान करने के लिए सभी कर्मचारी संगठनों को आश्वस्त किया था जो की झूठा साबित हुआ। प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मियों का आरोप है की बीजेपी सरकार भी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के नक्शे कदम पर चल रही है, ये भी कर्मचारियो के प्रति संवेदनशील नहीं है।
छत्तीसगढ़ के 20 हजार स्वास्थ्य कर्मचारीयो ने कहा है की फेडरेशन का चरणबद्ध आंदोलन जारी रहना चाहिए जब तक देय तिथि से महंगाई भत्ता की घोषणा न हो।।