@बैकुण्ठपुर//छत्तीसगढ़!!
महात्मा गांधी नरेगा के श्रमिकों के मजदूरी भुगतान ना मिलने और कार्य के बाद मस्टरोल निकाले जाने की षिकायत करना एक युवक के लिए परेषानी का सबब बन गया। उसने लोकपाल के समक्ष लिखित शिकायत की और जांच में सारे आरोप झूठे पाए जाने पर लोकपाल ने शिकायत कर्ता के खिलाफ ही आदेष पारित करते हुए 5 हजार का अर्थदण्ड लगाकर इस राषि को षासन के खाते में जमा कराने का निर्देष जारी किया। पूरा मामला जनपद पंचायत बैकुण्ठपुर के ग्राम पंचायत रामपुर पसला में एक सड़क के सुधार कार्य से जुड़ा हुआ है। विदित हों कि ग्राम पंचायत रामपुर निवाासी रमेश कुमार साहू के द्वारा एक लिखित षिकायत पत्र लोकपाल कार्यालय में देकर आरोप लगाया गया कि ग्राम पंचायत सरपंच व ग्राम पंचायत सचिव द्वारा ग्राम पंचायत में पूर्व निर्मित सड़क पर मुरमीकरण कार्य करते हुए लगभग 600 मीटर सड़क कार्य का सुधार कराकर गलत तरीके से मस्टररोल भरे गए हैं और पूरी राषि का हेरफेर कर गबन किया गया है। साथ ही यह भी आरोप लगाया कि एजेंसी ग्राम पंचायत द्वारा यह कार्य पहले प्रारंभ कर लिया गया था जबकि मस्टररोल बाद में जारी किए गए और मनमानी तरीके से भरे गए हैं। इस षिकायत को प्रकरण के तौर पर दर्ज कर पूरे मामले की लोकपाल द्वारा स्वयं मौके पर जाकर पूरी जांच की गई और स्थानीय ग्रामीणों से पूछताछ करते हुए संबंधित कार्य के सभी पंजीकृत श्रमिकों के बयान दर्ज किए गए। मौके की जांच और समस्त दस्तावेजों के अवलोकन के बाद लोकपाल मलखान सिंह ने पाया कि आवेदक रमेश कुमार की यह शिकायत व्यक्तिगत तथा द्वेष पूर्ण है और ग्राम पंचायत सरपंच और सचिव द्वारा उक्त कार्य में किसी भी तरह की अनियमितता और आर्थिक लाभ नहीं लिया गया है। जांच उपरांत पारित निर्णय में लोकपाल ने गलत शिकायत करने वाले आवेदक रमेश कुमार साहू के विरुद्ध पांच हजार रुपए का अर्थदंड लगाकर उक्त राशि को महात्मा गांधी नरेगा के खाते में जमा कराने के लिए कुल 15 दिवस का समय भी निर्धारित किया है।