CG:- अच्छे स्वास्थ्य सुविधा से है वंचित जिला एमसीबी ..असुविधा और लापरवाही को देखते हुए लोगों का विश्वास सरकारी अस्पताल की चिकित्सा और चिकित्सकों पर से बिलकुल उठ गया- "महेश प्रसाद ..??

CG:- अच्छे स्वास्थ्य सुविधा से है वंचित जिला एमसीबी ..असुविधा और लापरवाही को देखते हुए लोगों का विश्वास सरकारी अस्पताल की चिकित्सा और चिकित्सकों पर से बिलकुल उठ गया- "महेश प्रसाद ..??


@संतोष कुमार!

आबादी के मामले में मनेंद्रगढ़ विधनसभा में सबसे बड़े क्षेत्र में चिकित्सा व्यवस्था वर्षों से तय मानकों से काफी नीचे है। चिरमिरी में चिकित्सकों की कमी नई बात नहीं है। लेकिन चिकित्सकों की नियुक्ति के बाद भी चिकित्सा का अभाव लोगों के दर्द को और बढ़ा देता है। और यही कारण है की सरकारी अस्पताल की अपेक्षा आस पास के निजी अस्पतालों में ज्यादा भीड़ रहती है। 

ऐसा नहीं है की निजी अस्पतालों में ज्यादा योग्य चिकित्सक मिलते हैं लेकिन सरकारी अस्पतालो की असुविधा और लापरवाही को देखते हुए लोगों का विश्वास सरकारी अस्पताल की चिकित्सा और चिकित्सकों पर से बिलकुल उठ गया है। सरकारी अस्पतालों कि इन परेशानिओं को देखते हुए अधिकतम लोग अपने प्रियजनों के इलाज के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल में ही जाना उचित समझते है। प्राइवेट हॉस्पिटल की अच्छी चिकित्सा व्यवस्था के कारण लोगों की जान तो बच जाती है पर हॉस्पिटल के खर्चो और दवाइयों के बिल्स के कारण अधिकतम मध्यम वर्ग के लोगो को लगभग कंगाली का सामना करना पड़ता है। देखा जाए तो एक सामान्य व्यक्ति को अपनी आय का अधिकतम हिस्सा प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए देना पड़ता है। ऐसे डॉक्टरों की तादाद बहुत बड़ी है जो किसी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र पर अपनी ड्यूटी पर मौजूद रहना जरूरी नहीं समझते, अधिकतम सरकारी डॉक्टर अपना ज्यादा समय अपने निजी क्लीनिक और प्रैक्टिस को ही देते है। इस परेशानी की मार अधिकतम दूरदराज के इलाकों में रह रहें लोगों को झेलनी पड़ती है, जहां स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे हालत में ग्रामीण इलाकों के लोगों को मजबूरन बिना किसी चिकित्सा डिग्री वाले झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराना पड़ता है। जिससे मरीजों की छोटी से छोटी बीमारी गंभीर रूप ले लेती है और फिर मरीजों की जान चली जाती है।

हालांकि देखा जाए तो अलग अलग सरकारों ने अलग-अलग नामों से स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधारों और अच्छी व्यवस्था के लिए कई तरह की योजनाएं लागू की हैं। लेकिन अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पतालों तक में संकट के समय में डॉक्टर या नर्स उपलब्ध नहीं होते हैं तो उन योजनाओं का कोई फ़ायदा नहीं है। इससे साफ़ जाहिर होता है की सार्वजनिक चिकित्सा तंत्र का ढांचा कमजोर है और वही दूसरी तरफ देखा जाए तो इसका बड़ा फ़ायदा निजी अस्पतालों को हो रहा है, आए दिन निजी अस्पतालों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस अफसोसजनक हालत के सामने विकास का हर दावा झूठा साबित होता है।

छत्तीसगढ़ में विकास ग्रामीण इलाकों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य उपकेंद्रों में किया जाना चाहिए। लेकिन अभी वर्तमान सरकार का पूरा ध्यान केवल शहरी क्षेत्रों के अस्पतालों के विकास पर है। शहरी क्षेत्रो के अस्पतालों के विकास का मतलब है की अब गांव और कस्बों में रहने वाले लोगों को अपनी हर बीमारी के इलाज के लिए राजधानी तक का सफर करना पड़ता है। 

चिकित्सकों की कमी के पीछे शिक्षा व्यवस्था भी जिम्मेदार 

छत्तीसगढ़ में चिकित्सा व्यवस्था की बदहाली के पीछे कई हद तक यहां की शिक्षा व्यवस्था भी जिम्मेदार है क्योंकि छत्तीसगढ़ की खराब शिक्षा व्यवस्था के कारण वहां के छात्र अच्छी शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाते और उन्हें बाहर का रूख करना पड़ता है। यहां के छात्र बाहर शहरों में शिक्षा प्राप्त करने जाते है और फिर वही किसी निजी अस्पताल में नौकरी प्राप्त करके वही अपनी सेवा प्रदान करते हैं। यदि छत्तीसगढ़ में भी अच्छे मेडिकल कॉलेज खुल जाए तो यहाँ के छात्रों के भी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बाहर शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा तथा वे यहीं शिक्षा प्राप्त करके अपने गांव और शहरों में ही अपनी प्रैक्टिस कर पायंगे। 

संसाधनों और अच्छे तकनीशियन की कमी के कारण स्वास्थ्य केंद्र भी सही तरीके से काम नहीं कर रहें हैं और पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था के संचालन में उचित निगरानी नदारद है। 

स्वास्थ्य उपकेंद्र की जमीनी हकीकत बहुत ही खतरनाक है क्योंकि ज्यादातर स्वास्थ्य उपकेंद्र एक ही खास दिन पर खोले जाते हैं। बाकी दिन जनता को गाँव में या तो अनधिकृत झोला छाप से इलाज कराने के लिए मजबूर होना पड़ता है और गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों के मामले में उन्हें निजी डॉक्टरों और नर्सिंग होम में जान बचाने के लिए रायपुर तक का सफर तय करना पड़ता है।

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