मनेद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले का सुदूर वनांचल जनकपुर ब्लॉक के हरचौका ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का एक और बड़ा मामला गुरूवार को सामने आया है जिसमे ग्राम पंचायत के सरपंच की ही बड़ी भूमिका है और सरपंच गलत कार्य करके भी सीना तान के जवाब प्रस्तुत भी कर दे रही है।
ग्रामीणों के आवाज बुलंद करने पर मामला हुआ उजागर:
मिली जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत हरचौका में सरपंच के इशारों पर ग्राम पंचायत के शासकीय उचित मूल्य के दुकान का राशन जिसने 27 बोरी चावल और चना को सरपंच के घर में रखा गया था।
उक्त चावल और चना को सरपंच बेचने के फिराक में रही और सौदा तय भी हो गया इधर ग्रामीणों में इसका विरोध किया और मामला सामने आया।
पिकअप के ड्राइवर ने खोला राज:
जब ग्रामीण प्रेम शंकर,अहिरवार, गुडडन सहित भारी संख्या में ग्रामीणों ने इकठ्ठा होकर शासकीय राशन बेचने को लेकर विरोध किया तब राशन उठाने आए पिक अप के ड्राइवर लल्लू सोनी ने ग्रामीणों को बताया कि उक्त राशन को खरीदने के लिए आए है। मौके पर वाहन से 10 बोरी चावल और 30 पैकेट चना भी बरामद किया गया। तब ग्रामीणों में एसडीएम भरतपुर को तत्काल इसकी सूचना दी एसडीएम के आदेश के बाद खाद्य निरीक्षक कर पटवारी द्वारा पंचनामा तैयार करके राशन जप्त किया गया और उसे जनकपुर वेयर हाउस में जमा करवा दिया।
भौतिक सत्यापन में कुछ नही पाया गया: खाद्य निरीक्षक
जहां ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच ने पहिले भी शासकीय उचित मूल्य की दुकान का संचालन सही से नही किया है और उसके द्वारा कालाबाजारी की जा रही है वहीं इस पूरे मामले में खाद्य निरीक्षक भूपेंद्र राज का कहना है कि हमने और पटवारी द्वारा सरपंच के घर जाकर मौके की जांच की गई है।
भौतिक सत्यापन में मौके पर कुछ नही पाया गया केवल 04 बोरी चावल का हिसाब नही मिल रहा है हमने फिर भी पंचायत भवन में ताला लगा दिया है और सचिव को इसकी जिम्मेदारी दे दी गई है। सभी बोरियों का हिसाब है और रसीद भी कटी हुई है।
राशन को बेचकर ही रिकवरी की राशि भरनी थी : सरपंच
इस मामले में जब सरपंच से पूछा गया कि उनके यहां इतना चावल की बोरी कहा से आई तो सरपंच का कहना है कि कई महीने से जो चावल बच गया है उसे मैं घर लेकर आई हूं बेचने के लिए क्योंकि पंचायत के ऊपर 4700 की रिकवरी है जिसे मैं इन चावल को बेचकर भरूंगी।
एक और ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच का भ्रष्टाचार चरम पर है और वो कालाबाजारी कर रही है मौके पर प्रत्यक्ष यह दिख भी गया है सरपंच ने भी इसे स्वीकार किया है और पंचायत के ऊपर हजारों की रिकवरी की भरपाई करने की बात कही गई और प्रशासन का स्पष्ट कहना है कि सरपंच के घर से कोई भी शासकीय धान बरामद नही किया गया है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरपंच की पकड़ अच्छी खासी है और उक्त सरकारी चावल का बंदरबाट और कालाबाजारी का सिलसिला थामने वाला नही है। जब तक की दोषियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई नही होगी।
@सोर्स - सोसल मीडिया