मैं शायर तो नहीं : लो गजल सुनो... महफ़िले मोहब्बत की...l

मैं शायर तो नहीं : लो गजल सुनो... महफ़िले मोहब्बत की...l


1.यार अब मैं कर्जदार होने लगा हूं।
अपना नहीं अपने मां बाप का होने लगा हूं।
सपने तो अब भी है दिलो में।
पर खुशियां पुरी मां बाप के करने लगा हूं।
पता नहीं यार बच्चे से कब बड़ा होने लगा हूं।

2.सुना हैं हाथो में अब चूड़ी पहनने वाली हो पावं में पायल और उंगली में अंगुठी पहनने वाली हो

माथे पे बिंदिया कान में झुमके चलो ये सब तो ठीक है मैने सुना है बहुत जल्द मांग पर सिंदूर भी सजाने वाली हो.

3.अगर तु चांद और मैं सितारा होता

आशमा में एक आशिया हमारा भी होता

तुम्हें लोग दूर से देखा करते, करीब से देखने का हक सिर्फ हमारा होता।


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