@महासमुंद
सर्व समाज समन्वय महासभा छत्तीसगढ़ ( जिला महासमुंद ) द्वारा आयोजित दिव्य आध्यात्मिक प्रवचन एवं रसमय संकीर्तन के पांचवें दिन सुश्री डॉ. भक्तिसवरी देवी जी ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गुरु के बिना हम जीवन के सार को कभी नहीं समझ सकते. गुरु वह है जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु के सामने चंचल न होने की बात करते हुए उन्होंने कहा कि जीवन में जितना हो सके उतना बोलना चाहिए और जितना हो सके गुरु की आवाज को सुनना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरुचरणों की सेवा करने का अवसर मिलना बड़े सौभाग्य की बात है। बृहस्पति की महिमा अतुलनीय है। उसका सम्मान करें, आप भी समृद्ध होंगे।
उन्होंने धार्मिक शास्त्रों में वर्णित अवतारों के बारे में कहा कि कहीं 24 या कहीं कहीं दशावतार की कथा कही गई है, लेकिन अवतारों की संख्या गिनना संभव नहीं है, क्योंकि जितने अवतार हैं उतने ही भक्त हैं। भगवान के अवतार के उद्देश्य से यह भी कहा गया था कि यहां न केवल राक्षस, राक्षस और अधर्मी लोग अवतार लेते हैं बल्कि भगवान भी अपने भक्तों पर कृपा बरसाने आते हैं। उन्होंने कहा कि घर छोड़कर वन में जाना केवल तपस्या ही नहीं है, इसके लिए हृदय की पवित्रता भी आवश्यक है।