CG :- कूटरचना और कांटछांट के आरोपीयों पर गैर जमानती केस दर्ज... साफ एवं ईमानदार प्राचार्य डॉ.आर.एन. खरे को किये थे फंसाने का प्रयास... जानिए सच्चाई क्या है...!!!

CG :- कूटरचना और कांटछांट के आरोपीयों पर गैर जमानती केस दर्ज... साफ एवं ईमानदार प्राचार्य डॉ.आर.एन. खरे को किये थे फंसाने का प्रयास... जानिए सच्चाई क्या है...!!!

PIYUSH SAHU (BALOD)
@अंबिकापुर
 सेवा पुस्तिका में कूटरचना और कांटछांट के आरोप पर संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो रोहिणी प्रसाद, तत्कालीन सहायक कुलसचिव राजेन्द्र कुमार चौहान, तत्कालीन कार्यालय सहायक रूपेश मार्क्स व तत्कालीन संविदा कर्मचारी वजीर आलम के खिलाफ गैर जमानती धाराओं के तहत दुर्ग जिले की नेवई थाना पुलिस ने अपराध दर्ज किया है।

देखिए नेवई थाना का एफआईआर कॉफी :- 
सेवा पुस्तिका में कूटरचना और कांटछांट के आरोप पर संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो रोहिणी प्रसाद, तत्कालीन सहायक कुलसचिव राजेन्द्र कुमार चौहान, तत्कालीन कार्यालय सहायक रूपेश मार्क्स व तत्कालीन संविदा कर्मचारी वजीर आलम के खिलाफ गैर जमानती धाराओं के तहत दुर्ग जिले की नेवई थाना पुलिस ने अपराध दर्ज किया है। मामले की शिकायत स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई के कुलानुशासक व इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य डा. आरएन खरे की लिखित शिकायत पर की गई है।

मामला 2019-20 का है जब अंबिकापुर का इंजीनियरिंग कालेज, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा अंबिकापुर से संबद्घ था और डा.आर एन खरे इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य का पद संभाल रहे थे।वर्तमान में इंजीनियरिंग कालेज, स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई से संबद्घ है।प्राचार्य डा आरएन खरे ने नेवई थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि जब इंजीनियनरिंग कालेज अंबिकापुर को तकनीकी।विश्विद्यालय से जोड़ा गया तब सभी अधिकारी व कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका भी भेजी गई।आरोप है कि प्राचार्य की सेवा पुस्तिका में फर्जी तरीके से छेडछाड़ कर छलपूर्वक कूटरचना करते हुए प्राचार्य का कार्यकाल पांच वर्ष का होना लेख किया गया था। इसकी जानकारी प्राचार्य को पदभार ग्रहण करने के दौरान हुई।साथ ही मूल नस्ती का अवलोकन करने पर भिलाई में कुलसचिव ने यह अवगत कराया कि प्राचार्य की मूल नस्ती के चार पेज गायब है और भिलाई कुलसचिव द्वारा अंबिकापुर कुलसचिव को उक्त संबंध में लिखित पत्र से जानकारी मांगी गई तब कुलसचिव अंबिकापुर ने अवगत कराया कि मूल नस्ती तत्कालीन कुलपति रोहिणी प्रसाद ने जांच के लिए ले ली है और तब से उनके विश्वविद्यालय में लौटायी नहीं गई है। यह उस अवधि की नोटशीट है जिस अवधि में प्राचार्य डा खरे को नौकरी से निकालने का प्रस्ताव रखा गया था।बाद में सेवा पुस्तिका में सुधार तो कर दिया गया।सूचना राजभवन के साथ तकनीकी विश्वविद्यालय की सर्वोधा इकाई कार्यपरिषद् भिलाई को अवगत कराया गया था।डा खरे वर्तमान में तकनीकी विश्विद्यालय भिलाई के मुख्य कुलानुशासक एवं डायरेक्टर आईक्यूएसी, एवं स्टेट को-ऑर्डिनेटर एआईसीटीई नई दिल्ली के पद पर पदस्थ है। विश्वविद्यालय में कुलानुशासक को एफआईआर लिखाने का प्रावधान है। कुलानुशासक होने के कारण उन्होंने तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई के कुलसचिव को अवगत कराया गया था।तकनीकी विश्विद्यालय द्वारा गठित जांच समिति द्वारा तत्कालीन कुलपति रोहिणी प्रसाद एवं अधीनस्थ कर्मचारी राजेन्द्र कुमौर चौहान तत्कालीन सहायक कुलसचिव वर्तमान पदस्थापना दुर्ग विश्वविद्यालय, रूपेश मार्कस कार्यालय सहायक (दैनिक वेतन भोगी)सरगुजा विश्वविद्यालय एवं वजीर आलम, तत्कालीन संविदा कर्मचारी जिन्हें सरगुजा विश्वविद्यालय द्वारा वर्तमान में हटा दिया गया है उनका बयान लिया गया।जांच समिति द्वारा अपराध का घटित करने का प्रतिवेदन देने पर कुलसचिव से विधिवत कार्रवाई करने का निर्देश प्राप्त होने पर जांच प्रतिवेदन,शासकीय अधिवक्ता का अभिमत, राजभवन द्वारा जारी पत्र, कार्य परिषद की कार्रवाई विवरण के साथ लिखित शिकायत दर्ज कराई थी।सेवा पुस्तिका में छेड़छाड़, छलपूर्वक कूटरचना से प्रविष्टि करने की लिखित शिकायत की जांच के बाद नेवई थाना पुलिस ने धारा 467,468,471,418 व 34 के तहत अपराध दर्ज किया है।

यह था विवाद :- 

इंजीनियरिंग कालेज अंबिकापुर जब संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय के अधीन था तब तत्कालीन कुलपति प्रो रोहिणी प्रसाद और इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य डा आरएन खरे के बीच विवाद गहराया था।प्राचार्य की सेवा अवधि पांच वर्ष की बताई गई थी।इस पर प्राचार्य डा खरे ने आपत्ति की थी और सेवा पुस्तिका में कूटरचना का आरोप लगाया था।प्राचार्य की सेवा में वापसी हो गई थी।वे अभी भी इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य है।तत्कालीन कुलपति प्रो रोहिणी प्रसाद वर्तमान में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्विद्यालय रायपुर में पदस्थ है।सहायक कुलसचिव राजेन्द्र चौहान,दुर्ग विश्वविद्यालय में पदस्थ है।

सूत्रों के मुताबिक पता चला है की शातिर ने कार्यपरिषद को भी धोखे में रखा और ग़लत जानकारी दी।यहाँ तक उच्च न्यायालय और राजभवन को 4वर्ष का हवाला देता रहा।तीनो कर्मचारियों से तब कराया 2019 जब वह तीनो उस शाखा में कार्यरत भी नहीं थे।चौहान से बैक पेज 13 में फ़र्ज़ी एंट्री करायी कुलसचिव की हैसियत से जबकि कुलसचिव विनोद एक्का को भी अंधेरे में रखा ।सीधे मेरी फ़ाइल डेली अपने पा वज़ीर आलम से मंगाता था ।यह स्थापना प्रभारी ने लिखित पत्र दिया हैं ।रोहिणी प्रसाद वर्तमान में पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय में हैं और राजेंद्र कुमार चौहान दुर्ग विश्वविद्यालय में पदस्त हैं । अवगत हो कि रोहिणी को वर्तमान शासनकाल में कुलपति पद से सरगुजा यूनिवर्सिटी से बर्खास्त भी किया गया था । CCA Rules 1966 के नियम  के 9(ख) में प्रावधान हैं कि एफ़आईआर वाले व्यक्ति को तत्काल निलम्बन कर विभागीय जाँच किया जाना चाहिए ।
 इस तरह के फर्जी कार्य करने वाले मुजरिमों को कब मिलेगा सजा। सरकार की ही कागजात को उल्टा- सीधा करके साफ एवं सुंदर नेक वाले विश्वविद्यालय इंजीनियरिंग कॉलेज अंबिकापुर के प्राचार्य डाॅ.रामनारायण खरे को गलत तरीके से फंसाया गया था।

वर्जन 
"डाॅ.रामनारायण खरे यह बहुत दुर्भाग्य हैं कि किसी कर्मचारी या अधिकारी के शासकीय दस्तावेज जैसे सेवा -सम्बन्धी अभिलेख / दस्तावेज आदि शासन या विश्वविद्यालय के अधीन हो और कार्यालय प्रमुख के द्वारा और उनके अधिनिस्थों को आदेश देकर किसी की लाइफ बर्बाद (academic murder) करने के हेतु से कूटरचना उन दस्तावेज की करायी जाना एवं जाँच में प्रमाणित पाया जाना- निसंदेह आईपीसी अधिनियम क्रमांक 45 ऑफ 1860 के अंतर्गत एक बहुत गम्भीर दंडनीय अपराध हैं। ऐसी परिस्थिति में पुलिस को सूचना देना सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत एक अपेक्षित आचरण है।"
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