@अर्जुन्दा
राष्ट्रीय युवा दिवस और स्वामी विवेकानंद जी के जयंती के अवसर पर शासकीय महाविद्यालय अर्जुन्दा के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयं सेवक यशवंत कुमार टंडन ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कि युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है। युवा देश और समाज को नए शिखर पर लें जाते हैं और युवा ही देश का वर्तमान, भूतकाल और भविष्य के सेतु भी है। यह देखा जाता है कि हमारे राष्ट्र के लिए कई परिवर्तन विकास समृद्धि और सम्मान लाने में युवा सक्रिय रूप से शामिल हुए हैं इतना ही नहीं समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है इतिहास गवाह है कि आज तक दुनिया में जितने भी क्रांतिकारी परिवर्तन हुए चाहे वह सामाजिक राजनीतिक सांस्कृतिक आर्थिक या वैज्ञानिक रहे हो उनके मुख्य आधार युवा ही रहे हैं भारत में भी युवाओं का एक समृद्ध इतिहास है प्राचीन काल में आदि गुरु शंकराचार्य से लेकर गौतम बुद्ध और महावीर स्वामी ने अपनी युवावस्था में ही धर्म एवं समाज सुधार का बीड़ा उठाया था पुनर्जागरण काल में राजा राममोहन राय स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ विवेकानंद जैसे युवा विचारक ने धर्म एवं समाज सुधार आंदोलन का नेतृत्व किया।
यदि वर्तमान भारत की बात की जाए तो यह दुनिया का सबसे युवा देश है जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 25 वर्ष तक की आयु वाले लोग कुल जनसंख्या का 50 पीस दी है वहीं 35 वर्ष तक की वाले कुल जनसंख्या का 65 फ़ीसदी है यही कारण है कि इसे दुनिया भर में उम्मीद की नजर से देखा जा रहा है और 21वीं सदी की महाशक्ति होने की भविष्यवाणी की जा रही युवा आबादी ही देश की तरक्की को रफ्तार प्रदान कर सकती है जैसा कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि हमारे पास युवा संसाधन के रूप में अपार संपदा है और यदि समाज के इस वर्ग को सशक्त बनाया जाए तो हम बहुत जल्द महाशक्ति बनने के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं वही दुनिया की लगभग 25% आबादी युवा है जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैऔर इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है ऐसे में यह प्रश्न महत्वपूर्ण है कि युवा शक्ति वरदान है या चनौती महत्वपूर्ण इसीलिए भी यदि युवा शक्ति का सही दिशा में उपयोग न किया जाए तो इसका जरा सा भटका राष्ट्र के भविष्य को अनिश्चित कर सकता है आज बहुत से ऐसे विकसित और विकासशील राष्ट्र है जहां 9 जनों ऊर्जा व्यर्थ हो रही है कई देशों में शिक्षा के लिए जरूरी आधारभूत संरचना की कमी है तो कहीं बेरोजगारी जैसे हालात है इन चीजों के बावजूद एवं आदर्श जीवन की ओर अग्रसर करना वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत है।