@रायपुर//वेश देशमुख।।
रिपोर्ट के अनुसार पांच संभाग के अतिथि व्याख्याता पूर्णरूपेण सौतेला व्यवहार महसूस कर रहे है- उनकी कहानी उन्ही की जुबानी...
दिहाड़ी 800/- की सीलिंग का वेतनमान 2011-12 से दिया जा रहा है। यूजीसी से आने वाली पूरी राशि से 20,800/ भी हमें प्रतिमाह नहीं मिल पाता है। दैनिक वेतनभोगी से मासिक वेतनमान की प्राथमिक मांग अब भी अधूरी है।
यह की नियमित प्राध्यापकों के विरुद्ध हमें दिया जाने वाली अध्यापन अवधि "एक तिहाई होती है जिसके
बावजूद नियमितों के विरुद्ध परीक्षा परिणाम हमारे विषय में अच्छे आते हैं। अतः 11 माह की पूर्णकालिक अवधि की जायज मांग भी अनसुनी रखी गई है।
स्थानांतरण सूची जारी होने की खबर सूत्रों से प्राप्त हुई है। नवीन नियुक्ति की पदस्थापना से भी अतिथि बेरोजगार हो जाएंगे। ऐसे में हमें स्थानांतरण सुरक्षा दी जानी चाहिए।
जन घोषणा पत्र में उल्लेख था कि किसी भी दैनिक वेतनभोगी को नहीं निकाला जाएगा। नियमितीकरण की बातें भी की गई है परंतु हम अतिथि व्याख्याताओं की श्रेणी अज्ञात है, संविदा अनियमित दैनिक वेतनभोगी को मिलने वाला लाभ भी नहीं दिया जा रहा है।
अन्य राज्य जैसे मध्यप्रदेश दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा में अतिथि व्याख्याताओं को यूजीसी मापदंड अनुसार प्लेन (केवल स्नातकोत्तर) को 1000₹, एम. फिल+ पीएचडी धारक को 1200 नेट+ सेट+-पीएचडी धारक को 1500 भुगतान हो रहा है। परंतु छत्तीसगढ़ राज्य में अतिथि व्याख्याताओं को प्रतिदिवस 800 के आधार पर सितम्बर से फरवरी माह तक सेवा रखा जाता है, और शासकीय अवकाशों के वेतन वंचित रखते है।
सरकार गठन के बाद से ही, माननीय मुख्यमंत्री जी से जन चौपाल में दो बार, एवं अन्य सभी मंत्री, विधायकों से भी मांग करते आए हैं। जिसके बावजूद आज तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है।