@बलरामपुर//कमल चंद साहू।।
हमारे देश व राज्य में आस्था और विश्वास का पर्व मनाते हुए आ रहा है। ऐसे ही पर्वों में एक गणेश चतुर्थी का पर्व है जिसमें भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना किया जाता है। इस पर्व में अपनी रंग रुचि व श्रद्धा के अनुसार तीन दिन से लेकर सप्ताह से ऊपर भी पूर्ण श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है। इस पर्व में कुछ महत्वपूर्ण मान्यताएं हैं उन मान्यताओं तथा धार्मिक आस्थाओं के अंतर्गत लोगों ने अपनी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाते हुए नजर आए।
पूजा पाठ करते हुए कुछ बालिकाओं से बातचीत करने पर बताया गया कि यह पर्व भगवान गणेश जी के बुद्धिमत्ता से जुड़ी हुई है। कुछ इस तरह बताया जाता है कि गणेश भगवान के माता पिता अपने बच्चों का बुद्धि की परख करना चाहे और उसमें कौन श्रेष्ठ है इसकी जांच के लिए उन्होंने एक परीक्षा आयोजित की और उस परीक्षा को सबसे पहले जो पूर्ण करेगा उसको सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा इस लिए एक परीक्षा आहूत की गई और परीक्षा थी जो इस धरती को सबसे पहले चक्कर लगाकर आएगा वहीं सर्वश्रेष्ठ माना जाएगा अर्थात बुद्धि में सर्वोच्च माना जाएगा।
इस तरह की परीक्षा को पास करने के लिए कार्तिक जी अपने मयूर से धरती को चक्कर लगाने लगे और गणेश भगवान जो बुद्धि के देवता माने जाते हैं वे अपनी माता का चक्कर काटकर प्रतियोगिता स्थल पर जाकर बैठ गए और उन्हें सबसे पहले यह देख कर और माना गया की माता ही धरती माता का ही रूप होती हैं अर्थात उसी दिन से गणेश भगवान को बुद्धि के देवता माना जाता है। इसीलिए किसी कार्य को शुरुआत करने के लिए श्री गणेशाय नमः का जाप किया जाता है अर्थात याद किया जाता है। छत्तीसगढ़ समेत सरगुजा संभाग के कई जगहों पर बुद्धि के देवता गणेश भगवान का गणेश चतुर्थी के उपलक्ष में मूर्ति स्थापित कर पूजा पाठ किया जा रहा है। सरगुजा संभाग के अंबिकापुर में कई जगहों पर यह कार्यक्रम सप्ताह भर तक बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस कार्यक्रम सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किया जाता है। गणेश पूजा भगवान के प्रति आस्था का प्रतीक है। इससे विशेषकर बच्चों को भगवान के प्रति पूजा पाठ आस्था में रुझान उत्पन्न होता है। इस पर्व के माध्यम से बूढ़े बच्चे जवान सभी वर्ग से इस कार्यक्रम में भाग लेने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं। इस कार्यक्रम में क्षेत्र अनुकृत कई माध्यमों से पूजा अर्चना करने का माध्यम निभाते हैं।
खासकर लॉकडाउन व कोविड-19 संक्रमण की वजह से पिछले वर्षों काफी सख्ती अपनाई गई थी इस वजह से सभी पर्व त्योहारों में भीड़ भाड़ रंगमंच पर कड़ी से कड़ी सख्ती अपनाई गई थी, उसका प्रभाव अभी भी देखने को मिलता है जिस कारण कई क्षेत्रों में अभी भी इस पाबंदी को अपनाया जाता है ताकि कोरोना संक्रमण का प्रभाव ना मिले।
गणेश भगवान का पूजा पाठ में तल्लीन भक्तों ने रीति रिवाज अनुरूप प्रतिदिन भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। इस भंडारे में सभी वर्ग के लोग भंडारे का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इससे गरीब तबके के लोगों का भी भोजन का भी काम करता है। बड़ी-बड़ी समितियों में काफी मात्रा में भंडारा दिया जाता है जिसका लाभ गरीब व असहाय विकलांग व अन्य जरूरतमंद लोग इसका फायदा उठाते हैं। इस त्यौहार से कई तरह का लाभ आम जनों को मिलता है। गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित किए गए प्रतिमाओं का अब कई जगहों पर विसर्जन कार्यक्रम किया जा रहा है। इसी तारतम्य में वाड्रफनगर क्षेत्र के ग्राम पंचायत गैना में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। कई गणेश पंडालों में तो कुछ दिनों से आर्केस्ट्रा प्रोग्राम भी रखा गया था जिसमें सभी लोग बड़े धूमधाम के साथ आनंद लिया।
बलरामपुर जिले के गैना ग्राम पंचायत में आज शुक्रवार को सभी वर्गों ने बड़े धूमधाम के साथ गणेश प्रतिमा के विसर्जन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस कार्यक्रम में सरपंच हीराचंद सिंह, धर्मपाल सिंह, राहुल बाबा, पुष्पराज, सुनील कुमार साहू, सत्येंद्र, किंग, कृष्ण कुमार, अतुल सिंह, दीनदयाल, पंकज सिंह, राम अवध, कमल चन्द साहू, सोनु साहू "सी" न्यूज़, अर्जुन गुप्ता, अजय कुमार कुशवाहा, देवेन्द्र कुमार काशी, देवेंद्र साहू, पीताम्बर, अखिलेश साहू, अर्जुन साहू, काशी, राजेश काशी, राजेश साहू, रामअवध साहू, पप्पू साहू, प्रमोद सेन, अजय कुशवाहा, कमलेश, देवेन्द्र साहू, रामशंकर कु., रोहित कु., बीरेंद्र साहू, अवधेश साहू, अधीन रंते, नीरज रंते, राधामोहन, सीरेंज, रामप्रसाद, शैलेश, विनोद साहू, राजेश्वर साहू, संतोष सिंह, आदि सैकड़ों लोगों ने गणेश विसर्जन में खूब नाच गाना डांस के साथ विसर्जन किया गया।