माॅ शब्द में संपूर्ण श्रृष्टि का बोध - रामबालकदास... क्या आप सभी जानते हैं, गौमाता का बछड़ा जन्म लेते ही मां(Maa)बोलते हैं...-

माॅ शब्द में संपूर्ण श्रृष्टि का बोध - रामबालकदास... क्या आप सभी जानते हैं, गौमाता का बछड़ा जन्म लेते ही मां(Maa)बोलते हैं...-

PIYUSH SAHU (BALOD)
@बालोद// पीयूष कुमार साहू।।
माॅ शब्द में संपूर्ण श्रृष्टि का बोध - रामबालकदास
ईश्वर को अगम, अगोचर, असीम, अनंत आदि उपमायें दी जाती है ऐसे भगवान के गुणों का बखान करना तो सहज है लेकिन माॅ के लिये बोलना बहुत कठिन है। माॅ के बारे में बोलना वैसा ही है जैसे आकाश में उड़ने वाले पंछियों के लिये आकाश की व्यापकता है। माॅ ऐसा शब्द है जिसमें संपूर्ण श्रृष्टि समायी हुयी है।
     पाटेश्वरधाम के आनलाईन सतसंग में मातृ दिवस पर प्रकाश डालते हुये बाबा रामबालकदास जी ने कहा कि माॅ प्राण है, माॅ शक्ति है, माॅ ऊर्जा है, माॅ प्रेम करूणा और ममता का पर्याय है। माॅ केवल जन्मदात्री ही नही है जीवन निर्मात्री भी है। माॅ शब्द में वह आत्मीयता एवं मिठास छिपी होती है जो अन्य किसी शब्द में नही। माॅ नाम है संवेदना, भावना और अहसास का। माॅ के आगे सारे रिश्ते बौने पड़ जाते हैं। माॅ को शब्दों में बांध पाना असंभव है वह ममता का वो सागर है जिसमें भावनायें हिलोरें लेती रहती हैं इसलिये कहा गया है माॅ में ईश्वर की छवि होती है। पूरी जिंदगी भी समर्पित कर दी जाये तो माॅ के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता। माॅ ! ऐसा अलौकिक शब्द है जिसके स्मरण मात्र से ही रोम - रोम पुलकित हो जाता है। माॅ वो अमोघ मंत्र है जिसके उच्चारण मात्र से ही हर पीड़ा का नाश हो जाता है। माॅ की ममता और उसके आंचल की महिमा को शब्दों में बखान नहीं किया जा सकता सिर्फ महसूस किया जा सकता है। हर संतान अपनी माॅ से ही संस्कार पाता है संस्कार के साथ शक्ति भी माॅ ही देती है इसीलिये माॅ को शक्ति का रूप माना गया है।
     वेदों में माॅ को सर्वप्रथम पूजनीय कहा गया है। श्रीमद्भागवत पुराण में उल्लेख मिलता है कि माता की सेवा से मिला आशीष सात जन्मों के कष्टों व पापों को दूर करता है। माॅ की भावनात्मक शक्ति संतान के लिये सुरक्षा कवच का काम करती है। संतान की खुशी और उसका सुख ही माॅ के लिये सारा संसार होता है। ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना माॅ के प्रति कर्तव्यबोध का हमें भी भलीभाॅति ज्ञान होना चाहिये। ऐसी ममतामयी माॅ का जरा सा भी कष्ट हमारे जीवन को धिक्कारता है।
         माॅ शब्द के आविर्भाव पर बाबा ने कहा
कि गौमाता का बछड़ा जन्म लेते ही माॅ कहता है। माॅ शब्द की संपूर्ण व्याख्या गौमाता है जो अपना सब कुछ त्यागकर संतानों के कल्याण के लिये अपना जीवन होम कर देती हैं। कहा जाता है " गावो विश्वस्य मातर:"। इसी प्रकार धरती माॅ सब कुछ सहकर हमें आश्रय प्रदान करती है।
इस तरह माँ के सुमधुर भजनों के साथ आज का सत्संग सम्पन्न हुआ।

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