अगर किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण हो लेकिन टेस्ट रिपोर्ट् निगेटिव आ रही है तो इसे मेडिकल टर्म में ‘फॉल्स निगेटिव’ कहा जाता है. आरटीपीसीआर का टेस्ट करते समय नाक और गले से स्वैब लिया जाता है. ऐसे में अगर स्वैब सही तरीके से न लिया जाए तो टेस्ट भी गलत आता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि वायरस में जितनी तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है, उसके कारण भी टेस्ट रिपोर्ट में दिक्कत आ रही है. ऐसे में कोरोना के लक्षण दिखने के 2 से 7 दिनों के बीच टेस्ट कराना चाहिए, जिससे फॉल्स रिपोर्ट की संभावना कम हो जाती है।
अगर किसी को लॉस ऑफ स्मेल और लॉस ऑफ टेस्ट यानी गंध या स्वाद में से कोई एक या दोनों महसूस नहीं हो रहे लेकिन रिपोर्ट निगेटिव है तो इस बात को नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए. लॉस ऑफ स्मेल और लॉस ऑफ टेस्ट को कोरोना के अहम लक्षण माना गया है. यही नहीं अगर दवा लेने के बाद भी पिछले 2-3 दिनों से बुखार नहीं उतर रहा और थकान महसूस हो रही है, गले में लगातार खराश हो तो भी सतर्क रहने की जरूरत है।
अगर किसी को कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं लेकिन कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है तो भी 5 से 7 दिन के लिए आइसोलेट हो जाना चाहिए. अगर आप खुद को कोरोना निगेटिव मानकर बाकी लोगों के संपर्क में आएंगे तो कई बार दूसरे भी आपके संपर्क में आकर बीमार पड़ सकते हैं. ऐसे समय में ऑक्सिजन लेवल समय समय पर जांचते रहना चाहिए. 95 से ऊपर ऑक्सिजन लेवल सामान्य माना जाता है. अगर लक्षण ज्यादा गंभीर दिख रहे हैं तो बिना देरी किए HRCT यानी हाई रिजॉलूशन सीटी स्कैन टेस्ट कराना चाहिए।