आरोपी विकास जैन और अजीत सिंह को जीवन की अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनायी गई है। और दोनो आरोपियों पर अर्थदंड भी लगाया गया है। सत्र न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव ऑनलाइन यह फैसला सुनाया है। और फैसले में बहुत अच्छे से लिखा है कि अंतिम सांस तक दोनो को आजीवन कारावास की सजा दी है।
2015 में की गई थी हत्या
नवंबर 2015 में अभिषेक मिश्रा की हत्या कर दी गई थी। 10 नवंबर 2015 की शाम शंकराचार्य इंजीनियरिंग कालेज के चेयरमैन IP मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा का अपहरण हुआ था। किडनैपिंग की खबर ने पूरे प्रदेश में खलबली मचा दी थी। पुलिस ने भी इसे सुलझाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। यही वजह थी कि पूरे देश के करीब एक करोड़ मोबाइल फोन की डिटेल खंगालने के बाद पुलिस की निगाह भिलाई में रहने वाले सेक्टर-10 निवासी विकास जैन के ऊपर आ टिक गई थी।
वारदात में तीन आरोपी हुए थे गिरफ्तार
मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें अभिषेक के काॅलेज में पढ़ाने वाली प्रोफेसर किमसी जैन, उसका पति विकास जैन और उसका चाचा अजीत शामिल था। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद लगातार इस मामले की जांच की गई और जांच पूरी होने के बाद दुर्ग न्यायालय में चार्जशीट पेश की गई। करीब 5 साल (2016) से ये मामला दुर्ग जिला न्यायालय में चल रहा था।
करीब 45 दिन बाद मिली थी लाश
एक तरफ पुलिस कॉल डिटेल को आधार बनाकर जांच शुरू कर चुकी थी, वहीं दूसरी ओर किडनैपिग की घटना के करीब 45 दिन बाद आरोपी विकास जैन के चाचा अजीत जैन के स्मृति नगर निवास के बगीचे में अभिषेक की सड़ी गली लाश बरामद हुई। आरोपियों ने बेहद ही शातिराना अंदाज में लाश को दफना कर ऊपर फूल गोभी की सब्जियां उगा दी थी। पुलिस ने लाश के पास हाथ का कड़ा, अंगूठी और लाॅकेट देखकर अभिषेक की लाश होने की पुष्टि की थी। लाश का DNA टेस्ट भी कराया गया था।