कोरोना वायरस से बचने के लिए प्रोटोकॉल में मास्क लगाना भी है. कुछ लोग एक ही मास्क कई दिनों तक लगाए रहते हैं लेकिन अब यह सामने आया है कि 2-3 हफ्तों तक एक ही मास्क के प्रयोग से ब्लैक फंगस हो सकता है. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस का भी खतरा सामने आने लगा और कई स्थानों पर इसके केसेज सामने आए हैं. इसे लेकर एम्स के न्यूरोसर्जरी प्रोफेसर डॉ पी शरत चंद्रा का कहना है कि फंगल इंफेक्शंस नया नहीं है लेकिन यह महामारी के मुताबिक कभी नहीं बढ़ा है. डॉ चंद्रा के मुताबिक अभी तक इसकी वजह सामने नहीं आ सकी है कि जैसे-जैसे महामारी बढ़ रही है, वैसे-वैसे इसके मामले क्यों नहीं बढ़ रहे हैं लेकिन यह मानने का कारण है कि इसके एक से अधिक कारण हों.
Fungal infections are not new. But It has never happened in epidemic proportions. We don’t know the exact reason why it is reaching to epidemic proportions. But we’ve reason to believe that there could be multiple reasons: Professor of Neurosurgery at AIIMS Dr P Sarat Chandra pic.twitter.com/tLHSKbgvBH
— ANI (@ANI) May 22, 2021
सिलिंडर से सीधे कोल्ड ऑक्सीजन देना बहुत खतरनाक :
डॉ चंद्रा ने कहा कि ब्लैक फंगस होने की सबसे बड़ी वजह अनियंत्रित डायबिटीज, टोसीलीजुमैब के साथ स्टेरॉयड्स का सिस्टमैंटिक प्रयोग, वेंटिलेशन पर मरीज, सप्लीमेंटल ऑक्सीजन लेना है. डॉ चंद्रा के मुताबिक अगर कोरोना इलाज के छह हफ्ते के भीतर इनमें से कोई भी फैक्टर्स है तो उन्हें ब्लैक फंगस होने का सबसे अधिक खतरा है.
डॉ चंद्रा ने कहा कि सिलिंडर से सीधे कोल्ड ऑक्सीजन देना बहुत खतरनाक है और दो-तीन हफ्तों तक एक मास्क का प्रयोग करने पर ब्लैक फंगस होने की आशंका रहती है. डॉ चंद्रा के मुताबिक जिन्हें ब्लैक फंगस होने की आशंका अधिक है, उन्हें एंटी-फंगल ड्रग पोसाकोनाजोल दिया जा सकता है.
महामारी घोषित करने के लिए केंद्र कर चुका है आग्रह :
Covid-19 की दूसरी लहर के बीच Black Fungus के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है. देश के कई हिस्सों में इसके चलते कई लोगों को मौत हो चुकी है और सिर्फ महाराष्ट्र में इसके चलते करीब 90 लोगों की मौत हो चुकी हैं. ऐसे में एक दिन पहले केंद्र सरकार ने राज्यों से इसे महामारी अधिनियम 1897 के तहत महामारी घोषित करने का आग्रह किया है. ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) एक ऐसा खतरनाक इंफेक्शन है, जो अब तक बहुत ही कम लोगों को होता रहा है. लाखों में किसी एक को यह संक्रमण होता था. लेकिन पिछले कुछ दिनों के दौरान कोरोना से संक्रमित मरीजों में यह इंफेक्शन बड़ी तेजी से फैला है. यह इतना खतरनाक संक्रमण है कि इसके शिकार करीब आधे लोगों की जान चली जाती है.